बिहार की राजनीति का इतिहास गवाह है कि नीतीश कुमार उन गिने-चुने नेताओं में हैं, जिन्होंने सत्ता की कुर्सी को अपनी रणनीति, लचीलापन और अप्रत्याशित फैसलों से बार-बार हासिल किया। दस बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना कोई साधारण उपलब्धि नहीं, लेकिन उससे भी बड़ी चर्चा है उनके लगातार बदलते राजनीतिक कदम, जिन्होंने उन्हें ‘पलटू राम’ जैसा उपनाम दिया।
नीतीश कुमार की U-Turn राजनीति: कब, क्यों और कैसे?
नीतीश कुमार का सफर राजनीति की कक्षाओं में पढ़ाया जा सकता है। उन्होंने अपने दो दशकों से भी अधिक समय में अलग-अलग गठबंधन बदलकर बार-बार बिहार की सत्ता अपने हाथ में रखी। यह बदलाव कभी सिद्धांतों के नाम पर हुए, तो कभी राजनीतिक परिस्थितियों के कारण।
पहला बड़ा मोड़ आया 2013-14 में, जब उन्होंने 17 साल पुराना NDA गठबंधन तोड़कर बीजेपी से दूरी बना ली। उनका तर्क था कि उस समय नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री पद के लिए उपयुक्त नहीं थे। यह फैसला बिहार की राजनीति में भूचाल की तरह था और इसी कदम ने महागठबंधन की नींव रखी, जिसमें JDU, RJD और कांग्रेस साथ आए।
2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जबरदस्त जीत मिली और नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने। ऐसा लगने लगा कि यह राजनीतिक जोड़ी अब लंबे समय तक कायम रहेगी। लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, और नीतीश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं।
2017 वह साल था जब नीतीश कुमार ने अपना सबसे चर्चित U-Turn लिया। तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और नीतीश ने नैतिकता का हवाला देकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन 48 घंटे के भीतर, उन्होंने एक और मोड़ लेते हुए वापस बीजेपी के साथ सरकार बना ली। यही वह पल था जब RJD ने उन्हें ‘पलटू राम’ कहना शुरू किया, और देखते ही देखते यह उपनाम वायरल हो गया।
2017 के बाद भी नहीं रुका U-Turn का सिलसिला
2017 के ऐतिहासिक पलटवार के बाद भी, उनकी राजनीतिक चालों में ‘स्थिरता’ नाम की चीज नहीं दिखी।
2022 में, उन्होंने फिर बीजेपी से दूरी बनाकर महागठबंधन का दामन थाम लिया। उनकी शिकायत थी कि बीजेपी उन्हें कमजोर कर रही है। अगस्त 2022 में उन्होंने NDA छोड़ा और RJD-कांग्रेस के साथ फिर से मुख्यमंत्री बने।
लेकिन इस गठजोड़ की उम्र भी अधिक लंबी नहीं रही। जनवरी 2024 में, उन्होंने एक और अप्रत्याशित कदम उठाया। पहले इस्तीफा दिया और फिर वापस NDA में शामिल होकर 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनकी इस तेजी और निरंतर बदलती निष्ठाओं ने विपक्ष को और जनता को, दोनों को चकित कर दिया।
क्या है ‘पलटू राम’ टैग का असली मतलब?
नीतीश कुमार को यह नाम इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने बार-बार राजनीतिक गठबंधन बदले। उनकी रणनीति हमेशा सत्ता को संतुलित रखने की रही, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी बड़ा मोड़ क्यों न लेना पड़े।
भारतीय राजनीति में गठबंधन बदलने की खबरें आम हैं, लेकिन नीतीश ने जिस गति और आवृत्ति से ऐसा किया, उसने उन्हें एक अलग पहचान दी।
आपकी राय में, क्या यह नीतीश कुमार की राजनीतिक समझदारी है या सत्ता को हर कीमत पर बचाए रखने की कोशिश? अपनी राय कमेंट करें।








