आपने हॉलीवुड मूवी डॉ डूलिटल देखी होगी. इसमें एक इंसान अपने पालतू जानवरों से बातचीत करते दिखता है. अब यह फिल्मी कहानी हकीकत होने वाली है. यह सब संभव हो पाएगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से.
जानवरों के साथ संवाद अक्सर भावनाओं पर आधारित होता है, भाषाई नहीं होता है. बातचीत के इस तरीके में अक्सर पालतू जानवर, इंसानों की बात को समझते हैं और कई बार तो कही हुई बात को पूरा भी करते हैं.
पालतू डॉगी और इंसान के मामले में कम्युनिकेट करना और भी व्यवहारिक दिखाई देता है. भविष्य में पालतू जानवरों के साथ संवाद करना और आसान हो सकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की बदौलत यह सब हकीकत हो सकता है.
आजकल चैट जीपीटी (Chat GPT) जैसे एआई टूल की काफी चर्चा है. इसके लिए लोग अपनी छोटी से छोटी प्रॉब्लम को सॉल्व कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, जानवरों की भाषा को समझने के लिए वैज्ञानिक एक AI डिवाइस विकसित करने पर काम कर रहे हैं.
कहा जा रहा है कि ‘डॉ डूलिटल डिवाइस’ (Dr Doolittle device) नाम की यह मशीन जानवरों की भाषा को डिकोड कर सकेगी. यह उनकी भाषा को पूरी तरह समझने में सक्षम होगी.
वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साइंटिस्ट, जानवरों की भाषाओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं. बीते कुछ वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने जबरदस्त तरीके से विकास किया है.
एआई चैटबॉट्स की कामयाबी किसी से छुपी नहीं है. ये अपने कस्टमर्स के साथ सहजता से बात करते हैं. अगर वैज्ञानिक, जानवरों की भाषाओं को समझने में कामयाबी हासिल करते हैं, तो इससे उनकी सस्टेनेबिलिटी को समझने में काफी मदद मिल सकती है.
रिपोर्ट कहती है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमें जानवरों की भाषा को समझने या कम्युनिकेट करने की अनुमति देता है, तो हम जल्द ही जानवरों के बारे में बहुत सी बातें समझने में सक्षम हो सकते हैं. लोग अपने पालतू जानवरों के साथ और सहजता से पेश आ सकते हैं, उनकी परेशानी को आसानी से समझ सकते हैं.
रिपोर्ट में यह डेडलाइन नहीं दी गई है कि डिवाइस कब तक तैयार हो सकती है, लेकिन यह भविष्य में इंसान और जानवरों के बीच रिलेशन की एक रूपरेखा जरूर तैयार करती है.
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