क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गिरफ्तार कर लिये जाएंगे. यह सवाल इसलिए क्योंकि इडी ने एक बार फिर पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को समन भेजा है. जमीन घोटाला मामला में यह समन भेजा गया है. ईडी ने 14 अगस्त को हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया है. इसके पहले मुख्यमंत्री को खनन मामले में इडी ने बुलाकर 10 घंटे पूछताछ की थी.
बडी बात यह है कि जमीन घोटाला मामले में इडी ने जिसे भी पूछताछ के लिए बुलाया उसे गिरफ्तार कर लिया है. अभी तक इस मामले में 13 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इनमें रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, विष्णु अग्रवाल जैसे बडे चेहरे शामिल हैं.
ईडी सूत्रों के मुताबिक भानु प्रताप के मोबाइल के डेटा और उससे पूछताछ के अलावा विष्णु अग्रवाल से हुई पूछताछ में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संरक्षण का मामला सामने आया है. ईडी पिछले छह दिनों से विष्णु अग्रवाल से पूछताछ कर रही है.
वहीं हाल ही में जेल में बंद भानु प्रताप से भी पूछताछ की थी, जिसमे कई अहम जानकारी मिली है. दोनों से पूछताछ में आए तथ्य व साक्ष्य के आधार पर ही ईडी ने मुख्यमंत्री को समन जारी किया है. बड़गाई अंचल के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के बयान में मुख्यमंत्री व उनके करीबियों का नाम सामने आया है, जिसका सत्यापन होना अभी बाकी है.
ऐसे में बडा सवाल यह है कि ईडी अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लेगी. क्या इतना आसान है किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लेना. यदि किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करना हो तो उसकी कानूनी प्रक्रियाएं क्या-क्या होती हैं. आइए जानते हैं.
मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए तय नियम-कानून
आम लोगों के लिए सीएम की गिरफ्तारी की बातें सुनना भी काफी अजीब है, क्योंकि इसे लेकर लोगों के बीच कई तरह के भ्रम हैं. इसीलिए आज जानते हैं कि पुलिस या कोई जांच एजेंसी किसी राज्य के सीएम को कैसे गिरफ्तार कर सकती है और इसके लिए क्या कानूनी प्रक्रिया है. भारतीय दंड सहिंता के तहत किसी भी आरोपी पर उसका दोष साबित होने पर वह दोषी होता है.
इसके साथ ही उसकी गिरफ्तारी सिविल और क्रिमिनल, दोनों ही मामलों में होती है. हालांकि, मुख्यमंत्री (CM) के मामले में इसे लेकर अलग नियम है. Code of Civil Procedure के तहत मुख्यमंत्री के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत विशेष स्थिति में गिरफ्तारी के नियम हैं.
साथ ही गिरफ्तारी कब हो सकती है और कब नहीं, इस बात का भी उल्लेख किया गया है. चलिए आज आप को बताते है कि किसी सीएम को किस स्थिति में और कैसे गिरफ्तार किया जा सकता हैं.

गिरफ्तारी में है छूट
Code of Civil Procedure 135 के तहत किसी भी मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तारी में छूट दी गई है. हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह छूट केवल सिविल मामलों में ही है.
क्रिमिनल मामलों में ही सिर्फ होगी गिरफ्तारी
यदि किसी मुख्यमंत्री या विधासभा सदस्य पर किसी भी प्रकार का कोई क्रिमिनल मामला हो जाता है, तो यह छूट नहीं दी जाएगी. इस मामले में क्रिमिनल केस के तहत मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है.
सदन के अध्यक्ष की मंजूरी से ही किया जा सकता गिरफ्तार
यदि मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य की क्रिमिनल केस में भी गिरफ्तारी होनी है, तो सबसे पहले सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होती है, यानि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही गिरफ्तारी हो सकती है. यानी इडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करेगी तो उसके पहले झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो से मंजूरी लेनी होगी.
इतने दिन पहले और बाद में नहीं होगी गिरफ्तारी
धारा 135 के तहत, मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य की गिरफ्तारी के लिए दिनों का भी नियम है. इसके तहत यदि विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है, तो इसके शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधानसभा सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इसके बाद क्रिमिनल मामले में गिरफ्तारी के लिए सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होगी. वहीं, मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
जानें किस पद पर नहीं हो सकती गिरफ्तारी
आपको बता दें कि अनुच्छेद 61 के तहत भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल को उनके पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. यह दोनों ही सिविल और क्रिमिनल मामले में लागू है. हालांकि, यदि राष्ट्रपति और राज्यपाल के अपने पद से इस्तीफा देने के मामले में दोनों को गिरफ्तार किया जा सकता है.