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HMPV वायरस के 15 चौंकाने वाले तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे! 

HMPV वायरस का पहला पता 2001 में चला था 

इस वायरस को पहली बार नीदरलैंड में खोजा गया था, लेकिन यह इंसानों में दशकों पहले से मौजूद था। 

HMPV और मीज़ल्स का कनेक्शन। 

HMPV वायरस पैरा-मिक्सोविरिडे परिवार का हिस्सा है, जिसमें मीज़ल्स और मम्प्स भी आते हैं। 

यह वायरस मुख्यतः बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। 

5 साल से कम उम्र के बच्चे और 65+ उम्र के लोग इसके संक्रमण का बड़ा शिकार होते हैं। 

HMPV के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। 

बुखार, नाक बहना, खांसी, और सांस की परेशानी जैसे लक्षण इसे पहचानना मुश्किल बना सकते हैं। 

यह वायरस मौसमी होता है। 

HMPV आमतौर पर सर्दियों और वसंत ऋतु में अधिक सक्रिय होता है। 

HMPV के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है।

अभी तक इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। 

यह वायरस जानवरों में भी पाया जाता है।

HMPV पक्षियों और अन्य जानवरों में संक्रमण फैलाने के लिए जाना जाता है। 

HMPV और RSV वायरस में समानताएँ।

दोनों वायरस सांस की नली को प्रभावित करते हैं और उनके लक्षण भी समान होते हैं।

HMPV का मृत्यु दर कम है।

यह गंभीर संक्रमण कम मामलों में ही पैदा करता है, लेकिन पहले से बीमार लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है।

वायरस हवा में फैलता है।

खांसने या छींकने से इसका प्रसार तेजी से होता है।

HMPV संक्रमण का सबसे अधिक खतरा अस्पतालों में होता है।

अस्पतालों में, जहां कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग होते हैं, संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

HMPV वायरस तेजी से म्यूटेट करता है।

यह वायरस समय के साथ तेजी से बदलता है, जिससे इसका इलाज और रोकथाम मुश्किल होती है।

HMPV और कोविड-19 का अंतर।

दोनों वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं, लेकिन HMPV कम गंभीर होता है।

दुनिया की 95% आबादी HMPV के संपर्क में आ चुकी है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि लगभग सभी लोग अपने जीवन में कम से कम एक बार इससे संक्रमित हो चुके हैं।

स्वच्छता और दूरी ही बचाव है। 

बार-बार हाथ धोना और संक्रमित लोगों से दूरी बनाना इसका प्रसार रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपाय हैं।