इजरायली जासूसी मोबाइल ऐप पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ बंद हो गई है. लेकिन कंपनी से बेरोजगार हुए विशेषज्ञों ने अपनी खुद की नई कंपनी बना ली. अब उन्होंने पेगासस जैसे जासूसी ऐप प्रीडेटर और ग्रेफाइट बना लिया है. इन्हें वे कई देशों की सरकारों को बेच रहे हैं.
चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले साल एनएसओ को ब्लैक लिस्टेड करने वाली अमेरिकी सरकार नए ऐप खरीद कर आम लोगों की निगरानी कर रही है. अमेरिकी ऐजेंसी डीआईए इसकी बड़ी खरीददार है.
बता दें कि हाल में भारत में भी पेगासस से कुछ खास लोगों के फोन के जासूसी करने का मामला उठा था. लेकिन भारत सरकार ने संसद के भीतर और बाहर पेगासस स्पायवेयरर की खरीद से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था.
जीरो क्लिक फीचर यानी नंबर से डेटा चोरी
ग्रेफाइट ऐप: जीरो क्लिक फीचर वाल इस ऐप से सरकारें टारगेट फोन नंबर से डेटा को जमा कर लेती है. ये मोबाइल फोन के बैक अप के क्लाउड से भी डेटा को उड़ा लेता है. यूजर को पता भी नहीं चलता है कि फोन के जरिए सर्विलांस पर है.
प्रीडेटर ऐप: मोबाइल पर वेबसाइट की कॉपी भी कर लेता है. इसका घातक फीचर है कि यदि सर्विलांस वाले फोन का यूजर किसी वेबसाइट को खोलता है तो ये ऐप के हर स्टेप को ट्रैक करता है. प्रीडेटर के इस फीचर को इंफेक्शन कहते हैं.

कहां बनते हैं स्पायवेयर
- 70 प्रतिशत स्पायवेयर ईयू, अमेरिका में
- 25 प्रतिशत स्पायवेयर इजरायल में बनता है
- 5 प्रतिशत स्पायवेयर चीन बनाता है
दूसरे देशों में हेडक्वार्टर बनाकर ऐप की सप्लाई
एनएसओ के बंद होने के बाद कंपनी के लोगों ने दूसरे देशों में नई कंपनियों का गठन कर लिया. उनके हेडक्वार्टर भी वहीं बना लिये. टैल डलियन इजरायली मिलिट्री इंटेलीजेंस के बड़े अफसर रहे थे. उन्होंने इजरायल छोड़कर साइप्रस में कंपनी खोल ली और अब जासूसी एप दूसरे देशों की सरकारों को बेच रहे हैं.
यूनान-मेडागास्कर सरकारें बेनकाब हुईं
हाल में यूनान और मेडागास्कर की सरकारे अपने ही नागरिकों को नए इजरायली ऐप से जासूसी के मामलों में बेनकाब हुई है. दोनों देशों की सरकारों ने कई लोगों की जासूसी कराई, लेकिन शुरू से इनकार किया. अब दस्तावेजी प्रमाण सामने आने के बाद ये सरकारे विपक्ष के निशाने पर हैं.