RANCHI: 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने बड़ा फैसला किया है. भाजपा हाईकमान ने झाररखंड समेत चार राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदल दिये हैं. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी झारखंड के नये प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह बीजेपी के लिए एक बेहतर आदिवासी चेहरा माने जाते हैं. झारखंड गठन के बाद वे राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने थे.
बाबूलाल मरांडी अब राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश की जगह झारखंड के नये भाजपा प्रदेश अध्यक्ष होंगे. दीपक प्रकाश का कार्यकाल 25 फरवरी को ही समाप्त हो गया था. वहीं मरांडी विधानसभा में भापा विधायक दल के नेता हैं.
माना जा रहा है कि अब उनके नेतृत्व में ही भाजपा 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेगी. मरांडी पार्टी के 10वें प्रदेश अध्यक्ष होंगे.
मरांडी के अध्यक्ष बनने के बाद लगभग यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अब विधायक दल का नेता भी बदलेगी. झारखंड विधानसभा मानसून सत्र तक पार्टी विधायक दल के नेता के नाम की घोषणा कर सकती है.
बध्यक्ष बनाए जाने के पर बाबूलाल मरांडी ने कहा कि वे पार्टी की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे.
उन्होंने कहा कि हमारे सामने 2024 में लोकसभा की सभी 14 सीटें और विधानसभा चुनाव जीतने का लक्ष्य है.
नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं मिला तो भाजपा ने रणनीति बदली
बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता हैं. हालांकि स्पीकर ने अब तक उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी है. दल-बदल मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद स्पीकर न्यायाधिकरण में नेता प्रतिपक्ष मामले में फैसले का इंतजार किया जा रहा है.
विधानसभा में इस मामले को लगातार उठाने के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ तो भाजपा ने रणनीति बदलने का फैसला किया है. पार्टी ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए मरांडी को झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा है.
जानकारी के अनुसार नया प्रदेश अध्यक्ष भाजपा उसे बनाना चाहती थी, जिसका जनाधार तो बड़ा हो ही, स्वीकार्यता भी सभी वर्गों में हो और अनुभव भी हो.
इन तीनों कसौटियों पर बाबूलाल मरांडी ही खरा उतरते हैं. हालांकि मूलवासी और पिछड़ा वर्ग के होने के कारण आदित्य प्रसाद साहू का नाम भी बड़ी मजबूती से चला था. पर आखिरकार बाबूलाल का अनुभव उन पर भारी पड़ा.
चूंकि झारखंड में भाजपा के सामने झामुमो बड़ी चुनौती है. जिसके लीडर हेमंत सोरेन हैं. ऐसे में भाजपा ने हेमंत के सामने बाबूलाल को खड़ा कर दिया है. पार्टी का मानना है कि मरांडी के कारण तटस्थ रहने वाले आदिवासी भाजपा से जुड़ेंगे, जिससे पार्टी को लाभ होगा.