Ranchi: झारखंड राज्य सूचना आयोग में लगभग 25 हजार आवेदन सूचना आयुक्तों के अभाव में सुनवाई के लिए लंबित पड़े हैं. भारतीय सूचना अधिकार मंच ने इस पर चिंता जतायी है.
शुक्रवार को मंच के केंद्रीय अध्यक्ष रविकांत पासवान ने राज्य सरकार पर निशाना साधते कहा कि झारखंड में पिछले लगभग तीन वर्षों से राज्य सूचना आयोग वीरान पड़ा है. एक भी सूचना आयुक्तों के नहीं रहने से तथा सूचना का अधिकार के तहत हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं.
आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त व 10 राज्य सूचना आयुक्तों का पद सृजित हैं. राज्य सरकार ने पिछले दो वर्ष पूर्व एक मुख्य सूचना आयुक्त और पांच राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की वेकेंसी निकाली थी. इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
हालत यह है कि आयोग में एक भी सूचना आयुक्त नहीं है और नतीजतन सूचना का अधिकार (आरटीआई) मामले की सुनवाई बाधित है.
पासवान ने कहा है कि सूचना का अधिकार आम लोगों का एक मौलिक अधिकार है. सरकारी लोक प्राधिकरण से सूचना मांगने के बाद ससमय नहीं मिलने या अधूरी, भ्रामक या मिथ्या सूचना मिलने पर आम जनता आयोग में अपील या शिकायत करती है. पर आयोग में सूचना आयुक्तों के नहीं रहने से सुनवाई बाधित है.
हेमंत सरकार सूचना का अधिकार कानून 2005 को पूरी तरह से विफल करने में लगी हुई है. सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों का नहीं होना सरकार की साजिश है जो आम जनता के अधिकारों का हनन भी है. इसके लिए फरवरी में मंच की ओर से महानगर रांची में एक आवश्यक बैठक बुलाई जाएगी और मार्च माह में इस मामले पर सरकार के विरुद्ध जोरदार आंदोलन किया जाएगा.