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आदिवासियों के हितैषी थे सुभाष चंद्र बोस, मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से नेताजी ने कही थी ये बड़ी बात

आदिवासियों के हितैषी थे सुभाष चंद्र बोस, रामगढ़ में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से नेताजी ने कही थी ये बड़ी बात

Ranchi: आजाद हिंद फौज के सेनानायक सुभाष चंद्र बोस आदिवासी हितों की बात करने वाले थे. देश की आजादी की लड़ाई के दौरान वे साल 1940 में रामगढ़ भी आए. तब वे आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ने वाले मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से मिले. उन्‍होंने मरांग गोमके से मदद भी मांगी. जिसकी चर्चा आज भी जानकार करते हैं.

जयपाल सिंह मुंडा आदिवासी हक-हुकूक की आवाज उठाने के लिए आज भी याद किये जाते हैं. मरांग गोमके ने यह बात उस समय नेता जी के सामने रखी जब वो एक-दूसरे के सामने आए. तब नेताजी ने उनकी भावना का सम्‍मान किया और इस लड़ाई में उनका साथ देने की बात कही थी.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जयपाल सिंह मुंडा से कहा कि अभी पूरी ताकत से अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए जुटे. सुभाष रामगढ़ आये, तो जयपाल सिंह मुंडा ने उनका साथ दिया.

जयपाल सिंह ने आत्मकथा, ‘लो बिर सेंदरा’ में लिखा है कि नेताजी ने रामगढ़ में हुए कांग्रेस के सम्मेलन से दो दिन पूर्व ‘एंटी कॉम्प्रोमाइज कांफ्रेंस’ करने का निर्णय लिया था और भीड़ जुटाने के लिए उनसे मदद मांगी.

इस बात की जानकारी प्रशासन को मिल गयी और पुलिस उनकी तलाश करने लगी. रांची-रामगढ़ रोड में धारा-144 लगा दी गयी. तब उनके महासचिव इग्नेस बेक ने सुझाव दिया कि पिठोरिया के जंगलों से होते हुए रामगढ़ जा सकते हैं.

जयपाल सिंह ने वैसा ही किया और तीर-धनुष के साथ पांच हजार आदिवासियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यह सम्मेलन सफल रहा.

जब देश आजाद हो जाएगा तो आदिवासियों को सत्‍ता में जगह देंगे

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने अपनी पुस्तक ‘झारखंड की समरगाथा’ ने उस समय की परिस्थितियों का विस्तृत वर्णन किया है. इस पुस्तक में उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मरांग गोमके जयपाल मुंडा की मुलाकात के बारे में भी लिखा है़. ‘जयपाल, सुभाष से मिले’ उप शीर्षक के तहत उन्होंने लिखा है- इसी बीच 1940 में रामगढ़ में सुभाष चंद्र बोस का कार्यक्रम हुआ.

जयपाल सिंह रामगढ़ में सुभाष चंद्र बोस से मिले और बिहार के कांग्रेस नेताओं की छोटानागपुर-संताल परगना के साथ सौतेले व्यवहार की बातें बतायी. तब नेताजी ने जयपाल को सलाह दी कि ‘अभी इस मामले में शांत रहो, नहीं तो हम आजादी की लड़ाई में पीछे हो जायेंगे. पहले जरूरत है कि आजादी की लड़ाई लड़ी जाये. जब देश आजाद हो जायेगा, तो आदिवासियों को सरकार में जगह देने और उनका आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक रूप से विकास करने के लिए मैं खुद पहल करूंगा.

जयपाल सिंह ने संदेशा भेजा था, लाठी से अंग्रेजों को भगायें

नेताजी सुभाष चंद्र बोस 17-18 जनवरी 1941 की रात अपने भतीजे डॉ शिशिर बोस के साथ धनबाद के गोमो स्टेशन पहुंचे थे. काबुल होते हुए जापान जाने के पहले नेताजी गोमो से ही कालका मेल से दिल्ली के लिए रवाना हुए.

जयपाल सिंह मुंडा के बेटे जयंत जयपाल सिंह मुंडा बताते हैं कि जब सुभाष चंद्र बोस ट्रेन से गोमो से रवाना होनेवाले थे, तब जयपाल सिंह मुंडा ने मशहूर स्वतंत्रता सेनानी श्यामू चरण तुबिद को (जो नेताजी से मिलने गोमो जा रहे थे) एक लाठी भेंट की थी. उनसे कहा था कि इसे सुभाष चंद्र बोस को दें और उनसे कहें कि वे इस लाठी से अंग्रेजों को मार भगाये़ं.

पिछले 10 सालों से रांची में डिजिटल मीडिया से जुड़ाव रहा है. Website Designing, Content Writing, SEO और Social Media Marketing के बदलते नए तकनीकों में दिलचस्‍पी है.

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