Ranchi: झारखंड में हर रोज 10 घंटे बिजली कटौती की जा रही है. इससे पूरे राज्य की जनता त्राहिमाम कर रही है. छोटे उद्योगपति नुकसान से बंदी के कगार पर हैं. उद्योगपतियों का कहना है कि सरकारी बिजली कंपनी जेबीवीएनएल महंगी बिजली देती है. लेकिन गुणवत्ता के मामले में फिसड्डी है. इससे 30 फीसदी सस्ती जुस्को और डीवीसी है. वे 24 घंटे बिजली देने में सक्षम हैं.
झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अंजय पचेरीवाला ने कहा कि बिजली कटौती से उद्योग चलाना मुश्किल हो गया है. बीते डेढ़ साल से बिजली की हालत दयनीय है। इसमें सुधार के लिए कई बार जेवीबीएनएल के उच्च अधिकारियों से बातचीत का प्रयास किया गया. लेकिन अधिकारियों के पास समय नहीं है. अगले दो-तीन माह ऐसे ही हालात रहे तो अप्रैल से रांची समेत अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग बंद होने शुरू हो जाएंगे. उद्यमियों के पास दूसरे राज्य में जाना ही विकल्प बचेगा.
उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति के कारण प्रोडक्शन कॉस्ट दो गुणा हो गया है. जिससे उद्यमियों के समक्ष वर्कऑर्डर को तय समय में पूरा करना बड़ी चुनौती बन गई है. अगर उद्यमी जेनरेटर का इस्तेमाल करेंगे तो कब तक जेनरेटर के भरोसे उद्योग चलाएंगे. यही स्थिति रही तो दूसरे राज्यों में उद्योग शिफ्ट करने पर मजबूर होंगे. इससे रोजगार के अवसर कम होंगे. जिसके लिए जेबीवीएनएल जिम्मेवार होगा.
रामगढ़ और जमशेदपुर में 24 घंटे मिल रही बिजली
जेसिया अध्यक्ष ने कहा कि रामगढ़ व जमशेदपुर में उद्योगों को 24 घंटे बिजली मिल रही है. लेकिन रांची में 8-10 घंटे काटी जा रही है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और खराब है वहां लोगों को 8-10 घंटे ही बिजली मिल रही है.
प्रोफेशनल हाथों में सौंपी जाए बिजली वितरण व्यवस्था
उद्यमियों ने कहा कि बिजली व्यवस्था में सुधार का एक ही उपाय है. इसे जल्द से जल्द प्रोफेशनल हाथों में सौंपा जाए. इससे सलाना 1500 करोड़ रुपये का नुकसान बंद हो जाएगा. लोगों को कम दर पर गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलेगी. इसके साथ ही रोजगार भी बढ़ेंगे.
सरकारी बकाया का 10 फीसदी भी वसूल नहीं पा रहे
जेसिया अध्यक्ष ने कहा कि जेबीवीएनएल बकाए के कारण घाटा होने की बात कहती है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कंज्यूमर डिफॉल्टर क्यों हो रहे हैं. निगम के फील्ड कर्मी क्या कर रहे हैं. अगर दो लोग बिल का भुगतान नहीं कर रहे तो उनकी बिजली काटनी चाहिए. इसके कारण 98 लोगों को सजा देना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि जेबीवीएनएल सरकारी बकाए का दस फीसदी भी सलाना वसूल नहीं कर पा रही है.
22 साल में 50 हजार करोड़ किए बर्बाद
जेसिया ने कहा कि जेबीवीएनएल की अक्षम व्यवस्था को बचाने के लिए बीते 22 सालों में 50 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए. ये जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा था जो बर्बाद हो गया.
चैंबर के पूर्व सचिव दीपक मारू ने कहा कि पावर ट्रिपिंग के कारण उद्योगों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. अचानक बिजली कटने से बिजली उपकरण खराब हो रहे हैं.