Begusarai: जेएनयू छात्रसंघ (JNU) के पूर्व अध्यक्ष और बेगूसराय (Begusarai) से सीपीआई के प्रत्याशी कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने कहा है कि कल चुनाव में चाहे कोई जीते, हमें इसका ध्यान रखना होगा कि आने वाले समय में समाज से नफरत की हर हाल में हार हो. पिछले पांच सालों में मतभेद को जिस तरह ‘मन का भेद’ बनाया गया है, उसने न केवल लोकतंत्र को कमजोर किया है. बल्कि समाज को नफरत की आग में झोंकने का काम भी किया है.
नेताओं के चक्कर में आपस में लड़ने वालों को ठंडे दिमाग से सोचने की जरूरत है कि ऐसा करने से किनका फायदा होता है और किनका नुकसान. असहमति को अपराध या अपमान मानने की मानसिकता न केवल लोकतंत्र को कमजोर बनाती है, बल्कि रिश्तों में भी जहर घोलती है. लोकतांत्रिक होने का मतलब है असहमति को सम्मान देना और यह बात चुनाव या राजनीति से आगे जाती है.
कन्हैया ने बुधवार को बेगूसराय में एक बयान जारी कर कहा कि जिस दोस्त, पड़ोसी या रिश्तेदार से राजनीतिक बहस के कारण आपकी बातचीत बंद हो गई है, उन्हें फोन कर हाल-चाल पूछें और बताएं कि आपका रिश्ता इतना कमजोर नहीं जो ऐसी बातों से टूट जाएगा. असहमतियों का सम्मान करना ही लोकतंत्र की खूबसूरती है.
अगर ‘हम भारत के लोग’ किसी भी तरह की नफरत को अपने दिल से मिटा देंगे, तो समाज और राजनीति में भी नफरतवादी ताकतें अपने आप हारने लगेंगी.
कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने कहा देश प्रेम का मतलब क्या है? जो देश में रहते हैं, वही देश बनाते हैं और उनका हित ही देश के हित हैं. अगर गरीब किसान, मजदूर, छात्र, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला आदि को नुकसान पहुंचाने वाली नीतियां बनती हैं तो इससे नुकसान पूरे देश को होता है और इन नीतियों का विरोध करना देशप्रेम है. जिन्होंने देशप्रेम को नेताप्रेम बना दिया है, उनसे सावधान रहने की जरूरत है. वे अपने फायदे के लिए आपके रिश्तों में भी जहर घोल रहे हैं.