Ranchi: राजधानी में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा रहे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को अपने यहां किये जाने वाले इलाज पर होने वाले खर्च का संभावित रेट चार्ट डिस्प्ले करना होगा. सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधित निजी अस्पताल संचालकों और उनके प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद यह निर्देश दिया.
सिविल सर्जन कार्यालय सभागार में आज 20 से अधिक निजी अस्पताल संचालक के साथ सिविल सर्जन ने बैठक की. जिसमें क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का कठोरता से पालन, आयुष्मान भारत और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में निजी अस्पतालों की भूमिका और पीसी पीएनडीटी एक्ट को लेकर चर्चा की गई.
सिविल सर्जन ने निजी अस्पताल के संचालकों से कहा कि नर्सिंग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत योजना के तहत कौन-कौन सी बीमारियों का इलाज उपलब्ध है. इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए. इसके अलावा यदि कोई आयुष्मान कार्ड लेकर नहीं आता है तो उसे लौटाने की जगह व्हाट्सएप के माध्यम से सॉफ्ट कॉपी मंगा सकते है. इसके साथ थंब इंप्रेशन नहीं मिलने पर संबंधित मरीज का लोकेशन के साथ फोटो खींचकर एडमिट कर इलाज शुरू करें. डिस्चार्ज के समय आयुष्मान भारत योजना के तहत 15 दिनों की दवा उपलब्ध कराना भी निजी अस्पताल संचालक सुनिश्चित करें. जिन बीमारियों में 15 दिन से कम की दवा खाने की सलाह देते हैं.आयुष्मान योजना के तहत इलाज कर रहे निजी अस्पताल भी सुनिश्चित करें कि कोई भी सर 2 7 डॉक्टर डियूटी में नहीं हो.
सिविल सर्जन ने कहा कि झारखंड को 2025 तक टीबी मुक्त राज्य बनाना है. इसके लिए जरूरी है कि टीबी के मरीजों को दवा के साथ पौष्टिक आहार भी मिले. इसके लिए राज्य में निक्षय मित्र योजना चल रही है. निजी अस्पताल इस योजना से जुड़े. बैठक में सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार, डीटीओ डॉ एसके सावनी, डीआरसीएचओ डॉ असीम मांझी और 20 से अधिक निजी अस्पतालों के संचालक उनके प्रतिनिधि मौजू थे.