Ranchi: रांची के मेयर का पद अनुसूचित जनजाति से हटाकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने के मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. जवाब देने के लिए राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को दो हफ्ते का समय दिया गया है. दो सप्ताह के बाद इस मामले में अगली सुनवाई होगी.
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने मौखिक कहा कि यह मामला अति महत्वपूर्ण है. इस विषय पर नीतिगत निर्णय लिया गया है, इसलिए सरकार जल्द जवाब दाखिल करें.
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने कहा कि शेड्यूल एरिया में नगर निकाय चुनाव में मेयर या अध्यक्ष या नगर पंचायत अध्यक्ष का पद सिर्फ आदिवासियों के लिए ही आरक्षित हो सकता है, गैर-आदिवासियों के लिए यह पद नहीं हो सकता है.
बता दें कि इसे लेकर लक्ष्मीनारायण मुंडा ने याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने कहा है कि पांचवी अनुसूची के तहत अनुसूचित जिले में मेयर या अध्यक्ष का पद एसटी के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है. लेकिन, नियमों का उल्लंघन करते हुए इस बार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया है.