Radio Station in Jail: रेडियो तो आपने बहुत सुनी होगी. शॉर्ट वेव से लेकर आज के डिजिटल एफएम चैनल. लेकिन अब जेल के कैदियों ने भी खुद का रेडियो शुरू कर दिया है. इसमें जेल प्रबंधन के साथ कुछ सामाजिक संगठनों ने जेल की कैदियों की मदद की है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की डासना जेल की.
जेल में बंदियों को किसी भी तरह की सूचना दिए जाने और उनके मनोरंजन का ध्यान रखते हुए जेल प्रशासन ने एक अनोखी पहल शुरू की है. हालांकि जेल प्रशासन ने 2019 में रेडियो जॉकी की शुरुआत की थी, जिसके तहत जेल परिसर कि कुछ बैरक और क्षेत्र के अंतर्गत ही इसे स्थापित किया गया था. लेकिन अब जेल प्रशासन ने इसे मोडिफाइ करके लेटेस्ट बना दिया है. अब यहां रेडियो जॉकी के लिए साउंडप्रूफ स्टूडियो स्टूडियो तैयार किया गया है.
कैदी से आरजे बने शम्भू सिंह
गुडमॉर्निंग डासना मैं हूं आपका होस्ट एंड दोस्त आरजे शम्भू सिंह… कुछ इस तरीके से अपनी शो की शुरुआत करते है शम्भू. वह ऐसे पहले कैदी बने हैं जो किसी आरजे की तरह ही मॉर्निंग शो रिकॉर्ड करके कैदियों की सुबह में एक नई ऊर्जा भर देते हैं.
सुबह के समय वो भजन चलाने के बाद रोज एक प्रेरणादायक कहानी भी शो के माध्यम से बताते हैं. फिर कैदियों की फरमाइश के गाने बजाए जाते है. उनके इस काम से जेल में सकारात्मक माहौल बना हुआ है. अब धीरे-धीरे अन्य कैदी भी इस स्टेशन से जुड़ने के लिए इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं. अब उनकी भी ट्रेनिंग करवाई जाएगी.
अब कैदियों के रेडियो स्टेशन की आवाज अब हर बैरक के अलावा जेल के कोने-कोने में सुनाई देने लगी है. अब रेडियो जॉकी का विस्तार कर दिया गया है. खास बात यह है कि रेडियो जॉकी स्टूडियों में अब उन बंदियों को भी मौका दे रहा है जो कैदी गाना गाने या कहानी, कविता सुनाने के शौकीन हैं.

साल 2019 में हुई डासना जेल में रेडियो की शुरूआत
जेल सुप्रीटेंडेंट आलोक कुमार सिंह ने बताया कि डासना जेल में कुल 5,500 बंदी हैं. इनमें 200 महिला और 5300 पुरुष के अलावा 18 साल से 21 साल की उम्र के बड़े किशोर भी शामिल हैं. इन सभी को किसी तरह की सूचना देने के लिए जेलकर्मी को ही हर बैरक में जाना होता था. इसे आसान करने के लिए 2019 में जेल परिसर में रेडियो जॉकी की शुरुआत की गई थी और उसी के माध्यम से बंदियों को किसी भी तरह की सूचना देना और बंदियों को तनाव से मुक्त रखने के उद्देश्य से उनके मनोरंजन की भी शुरुआत की गई.

जेलर ने बताया कि पहले मनोरंजन के लिए तरह तरह के जुगाड किये जाते थे. फिर भी जेल के हर कोने या बैरक में रेडियो जॉकी की आवाज सुनाई नहीं देती थी.
उन्होंने बताया कि अब एचसीएल कंपनी के आधुनिक उपकरणों के साथ पूर्व आईपीएस किरण बेदी की संस्था इंडिया विजन के साथ मिलकर इसका आधुनिकरण करते हुए साउंडप्रूफ दीवार के साथ बड़ा स्टूडियो तैयार किया गया है.
सुनी जाएगी बंदियों की फरमाइश
जेल अधीक्षक ने बताया कि पहले अन्य प्रक्रिया के तहत रेडियो जॉकी का इस्तेमाल किया जाता था. अब जेल में ही बंद कुछ ऐसे बंदियों को भी रेडियो जॉकी स्टूडियो में जाने का अवसर दिया जाने लगा है.
उन्होंने बताया कि रेडियो जॉकी की शुरुआत सुबह 6 से 8 बजे तक भजन और मंत्रों से होती है. इसके अलावा दोपहर को बंदियों के लिए मनोरंजन के लिए 2 घंटे फिल्मी गाने, कविता और कहानी को प्रसारित किया जाता है और शाम के वक्त रेडियो जॉकी के माध्यम से आरती भी चलाई जाती हैं.
जेल के कोने-कोने में होने लगा है प्रसारण
जेल अधीक्षक ने बताया कि जब से रेडियो जॉकी की स्थापना हुई तो बंदियों तक किसी भी सूचना को पहुंचाने और उन्हें तनाव मुक्त किए जाने का उद्देश्य सफल प्रयोग साबित हो रहा है. अब आधुनिकरण के बाद और बंदियों को रेडियो जॉकी पर आने का अवसर दिए जाने के बाद वास्तव में सभी बंदी तनाव मुक्त महसूस कर रहे हैं.
बंदी ही कर रहे अन्य बंदियों का मनोरंजन
उन्होंने बताया कि फिलहाल इस आधुनिक रेडियो जॉकी स्टूडियो में जेल में ही करीब एक साल से बंद दिनेश और शम्भू को गाना गाने और कहानी सुनाने का मौका दिया गया है. फिलहाल दोनों ही रेडियो जॉकी पर जेल के सभी बंदियों को कहानी और गाने सुनाते हैं.
जेल अधीक्षक का कहना है कि रेडियो जॉकी के द्वारा प्रसारित किए जाने वाली कविता, कहानी, गाने और आरती और मंत्र को सुनकर सभी बंदी बहुत अच्छा महसूस करते हैं इतना ही नहीं कुछ बंदियों की अपनी फरमाइश भी होती है, जिसे वह रेडियो जॉकी तक पहुंचाते हैं और उनकी फरमाइश के मुताबिक भी कहानी, कविता और गाने प्रसारित किए जाते हैं।