Ranchi: 29 दिसंबर को हेमंत सोरेन (Hemanst Soren Government) सरकार ने अपने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है. नया साल भी शुरू हो गया है. यह साल झारखंड सरकार (Jharkhand Government) और भी चुनौतियों भरा साबित होने वाला है. सरकार के सामने अभी भी कोरोनाकाल से उबरने की चुनौती है, वहीं राजनीतिक मोर्चे पर भी लोहे के चने चबाने होंगे.
मौजूदा हालात और चुनावी वायदों के मुद्दे के धारदार तीरों के साथ विपक्ष सरकार लगातार हमला करना शुरू कर दिया है. वहीं सत्ताधारी दलों के नेतओं और विधायकों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा हिलोरे मार रही है. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों का तेज होना स्वाभाविक है. उम्मीद जताई जा रही है कि नए वर्ष में जल्द ही इन अटकलों को विराम लगाते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है.
फिलहाल राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में दो पद खाली हैं. मंत्रिमंडल में एक पद आरंभ से रिक्त है. असमय मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के निधन से एक कुर्सी और रिक्त हो गई है. जाहिर है दो खाली पदों पर सबकी निगाह लगी है. इन दोनों पदों के लिए झामुमो और कांग्रेस दोनों ही दलों में हलचल तेज है.
सरकार के मुखिया पर दबाव है कि वे समन्वय बनाते हुए दोनों सत्ताधारी दलों को साधे. इधर, विपक्ष अधूरे मंत्रिमंडल का सवाल उठाकर राज्य सरकार पर हावी हो रहा है. दूसरी ओर आर्चबिशप ने ईसाई मंत्री बनाने का सुझाव देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है.
सूत्रों की मानें तो सरकार के भीतर मंत्रिमंडल विस्तार और बोर्ड निगम के खाली पदों को भरने को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. चर्चा है कि खाली मंत्री पदों में से एक को तत्काल भरने के साथ ही फौरी तौर पर कुछ प्रमुख बोर्ड-निगम के रिक्त पद भरे जाएंगे.
हाजी हुसैन अंसारी के निधन से रिक्त हुए मंत्री पद पर मुस्लिम विधायक को रखा जा सकता है. इस लिहाज से गांडेय के झामुमो विधायक सरफराज अहमद रेस में हैं.
कुछ दिन पहले क्रिसमस के पहले रांची में कार्डिनल ने मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री से ईसाइ समुदाय से एक मंत्रिपद की भी मांग कर दी थी. हालांकि अभी तक इस बाबत अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है. मंत्रिमंडल विस्तार के पूर्व कांग्रेस के साथ समन्वय कर ही फैसला लिया जाएगा.