Ranchi: आकाशवाणी रांची तथा डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 25 अगस्त को विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में आदिवासी आर्थिकी एवं सतत् विकास विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे डीपीएसएमयू के कुलपति डाॅ तपन कुमार शांडिल्य.
आकाशवाणी रांची की कार्यक्रम प्रमुख मेरी क्लाडिया सोरेंग ने अतिथियों का स्वागत किया. विषय प्रवर्तन करते हुए टीआरआई के शोधार्थी विकास दुबे ने विस्तार से विकास की आधुनिक अवधारणा के बरक्स आदिवासी जीवन दर्शन के अनुरूप विकास की चर्चा की.
उन्होंने कहा कि आदिवासी आर्थिकी व्यक्तिगत लाभ पर नहीं बल्कि सामूहिक विकास पर बल देती है. एक्स आई एस एस के प्रो अमर एरौन तिग्गा ने आदिवासी समाज पर बढ़ते बाजार के प्रभाव की चर्चा की. सामूहिकता का भाव किस तरह लोप होता जा रहा है यह भी बताया.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व कुलपति डाॅ रमेश शरण ने उपभोग की संस्कृति को कम करने एवं अपनी आवश्यकताओं में निरंतर कमी करने पर बल दिया. तभी जल जंगल जमीन बच पाएगा. मुख्य अतिथि डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ तपन कुमार शांडिल्य ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में आदिवासी समुदायों के संघर्ष के इतिहास की उपेक्षा की बात करते हुए आदिवासी आर्थिक क्रियाकलापों का सीधा संबंध पर्यावरण संरक्षण से बताया.
जंगल के उत्पादों से अपना जीवन यापन करने वाले कभी व्यक्तिगत लाभ के लिए महत्वाकांक्षा नहीं रखते. देश के आर्थिक विकास में आदिवासियों की बड़ी भागीदारी पर भी उन्होंने बल दिया. धन्यवाद ज्ञापन आकाशवाणी के प्रभु शरण ने तथा संचालन पंकज मित्र ने किया. इस संगोष्ठी में कुलसचिव डा नमिता सिंह, जिंदर सिंह मुंडा, डा राकेश, डा प्रियांशु, संजीव लाल, राजेश करमहे, दिनेश सिंह तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.