चंद्रयान 3 की सफलता के बाद दुनियाभर की स्पेस एजेंसी मून मिशन के लिए तैयार है. अभी हाल में भारत का चंद्रयान 3 मिशन के विक्रम लैंडर को चांद के साउथ पोल पर लैंड कराने वाला पहला देश बन गया है. इसके बाद दुनिया के देश अपनी अलग पहचान बनाने की जुगत में हैं. अब तक चार देश- अमेरिका, रूस, चीन और भारत चांद पर अपने मिशन उतार पाए हैं. अगली कोशिश करने जा रहा है जापान. जापान एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी यानी जाक्सा (JAXA) 7 सितंबर की सुबह अपना मून मिशन लॉन्च करेगी.
जापान का मून मिशन
यह मिशन अगस्त के आखिरी हफ्ते में होना था, लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया. चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की जापान की यह पहली कोशिश होगी। हालांकि मई महीने में एक प्राइवेट जापानी कंपनी ने चांद पर मिशन लैंड कराना चाहा था, जो नाकामयाब हो गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, जापानी स्पेसक्राफ्ट का नाम है SLIM, जिसे विस्तार में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून कहते हैं. चंद्रयान-3 के मुकाबले यह काफी छोटा है. महज 200 किलो का. चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 1750 किलो का था.
जापान के मून मिशन का मकसद भी चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है. जाक्सा ने 100 मीटर की साइट चुनी है, जहां ‘स्लिम’ स्पेसक्राफ्ट को उतारने की कोशिश की जाएगी. हालांकि मिशन की लैंडिंग में जाक्सा को 4 से 6 महीने लग सकते हैं. इसके मुकाबले चंद्रयान-3 ने लॉन्च के 40 दिनों में चांद पर लैंडिंग कर ली थी.
जापानी मून मिशन का उद्देश्य
जापान दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि चंद्रमा पर जहां चाहो, वहां उतरना संभव है. जापानी स्पेस एजेंसी इसे पिनपॉइंट लैंडिंग कहती है. उसका मानना है कि चंद्रमा पर कई दिलचस्प जगहें हो सकती हैं. ऐसी जगहों पर भविष्य में मिशन लैंड कराया जा सके और वहां रोवर भी चहलकदमी कर पाए, यह सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा मिशन को लॉन्च किया जा रहा है.
7 सितंबर को ही जाक्सा का XRISM टेलीस्कोप भी लॉन्च किया जाएगा. यह हबल और जेम्स वेब टेलीस्कोपों की तरह ब्रह्मांड को एक्सप्लोर करेगा. टेलीस्कोप का मुख्य मकसद ब्रह्मांड की कुछ सबसे गर्म जगहों की स्टडी करना है.