New Delhi: कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है. अब कैलाश मानसरोवर यात्रा में 2 से 3 हफ्ते का समय कम लगेगा. कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग में प्रसिद्ध धारचूला से लिपुलेख (चीन सीमा) तक 80 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग अब चालू हो गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस सड़क मार्ग का उद्घाटन किया.
इस सड़क के चालू होने से भारत चीन सीमावर्ती क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाने में भारी मदद मिलेगी. राजनाथ सिंह ने इस मौके पर पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के एक काफिले को भी रवाना किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सड़क मार्ग के बनने से लोगों के दशकों पुराना स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों का सपना पुरा हुआ है.
उन्होंने उम्मीद जाहिर किया कि इससे क्षेत्र आर्थिक विकास और व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
दार्चुला-लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबगढ़ सड़क का विस्तार है. यह घाटीबगढ़ से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है.
80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6000 फीट से बढ़कर 17,000 फीट हो जाती है. इस परियोजना के पूरा होने के साथ, बेहद ऊंचाई वाले इस इलाके के माध्यम अब कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों को कठिन ट्रैकिंग से बचाया जा सकेगा और यात्रा की अवधि कई दिनों तक कम हो जाएगी.
वर्तमान में, कैलाश मानसरोवर की यात्रा में सिक्किम या नेपाल मार्गों के माध्यम से लगभग दो से तीन सप्ताह लगते हैं. लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों के माध्यम से 90 किलोमीटर का ट्रैक था जिसेे पूरा करने में बुजुुर्गों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. अब, यह यात्रा वाहनों द्वारा पूरी हो जाएगी.
डीजी बॉर्डर रोड्स लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह के अनुसार, इस सड़क का निर्माण कई समस्याओं के कारण बाधित हुआ था. लगातार बर्फ गिरने, ऊंचाई में अत्यधिक वृद्धि और बेहद कम तापमान के चलते केे चलते केे साल में केवल 5 महीने ही काम हो पाता था.
इस समारोह में जनरल बिपिन रावत, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल एम एम नरवाने, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, अजय कुमार, डिफेंस सेक्रेटरी और लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह, डीजी बॉर्डर रोड्स ने हिस्सा लिया.