New Delhi: चीन के साइबर अटैक (Cyber Attack) से इंडियन स्टॉक एक्सचेंज और इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई प्रभावित होने के आरोप के बाद देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार नई राष्ट्रीय रणनीति तैयार कर रही है. यह प्लान गृह मंत्रालय, डिफेंस, सूचना मंत्रालय, नेशनल क्रिटिकल इन्फ़ॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रचर प्रोटेक्शन सेंटर के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है, जिसमें ऐसे किसी भी अटैक की आशंका के लिए रणनीति होगी. यह बात पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल और भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक राजेश पंत ने एक साक्षात्कार में कही है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा समिति की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया जाएगा.
अक्टूबर 2020 में मुंबई में हुए बड़े पावर-कट (Mumbai Power Outage) के साथ हाल ही में हुए संदिग्ध साइबर घुसपैठ की जांच भी अधिकारी कर रहे है जिसमें बैकिंग सिस्टम और देश के प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में गड़बड़ होने की घटना सामने आई थी. पंत ने कहा कि हम जानना चाहते है कि ये क्यों हुआ, उनके अनुसार यह मैलवेयर भी हो सकता है बिना जांच के इसे साइबर अटैक कहना भी सही नहीं होगा.
मालूम हो पंत भारतीय सेना में काम कर चुके है और भारत की साइबर खुफिया सूचनाओं को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट करते है. यूएईएस आधारित शोध फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर ने पिछले सप्ताह कहा कि चीनी बंदरगाह द्वारा भारतीय स्टेट-प्रायोजित हैकरों द्वारा भारतीय बंदरगाह के नेटवर्क सिस्टम में खोला गया कम से कम एक कनेक्शन अभी भी सक्रिय था, क्योंकि अधिकारियों ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र के विद्युत क्षेत्र में प्रवेश करने के प्रयासों को अवरुद्ध कर दिया था. फर्म ने ये भी कहा कि रेड इको समूह द्वारा इस तरह के प्रयास पिछले साल भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सुदूर हिमालयी क्षेत्र में खूनी संघर्ष के बाद से बढ़ गया.
पंत का कहना है कि नई रणनीति सरकार के डिजिटल रूप से जुड़े पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों को सुरक्षित करने के लिए रोकथाम और ऑडिट के लिए प्रोटोकॉल बनाएगी, जिन्हें सभी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के रूप में माना जा रहा है वहीं परमाणु, बिजली और विमानन जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुपरक्रिटिकल माना जाएगा. उन्होने कहा कि मेरे विचार में, अगर इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर मैलवेयर से संक्रमित हैं, तो मैं यह नहीं कहूंगा कि यह एक हमला है, लेकिन यह एक संक्रमण है, जब तक कि यह आईटी सिस्टम से दूसरे ऑपरेशन सिस्टम से नहीं जुड़ता है,” यह एक क्रैंक कॉलर की तरह है, और आप किसी को अपना नंबर डायल करने से कैसे रोक सकते है.