Ranchi: पल्ली स्तरीय नवाखानी त्योहार बरियातू पारिश में धूमधाम से मनाया गया. पारम्पारिक वेश- भूषा तथा नृत्य के साथ इसे मनाया गया. नये अन्न एवं चूड़ा पर आशीष दिया गया. मिस्सा पूजा के साथ सामुहिक नृत्य किया गया, चूड़ा तथा जावा पौधा वितरण किया गया.
मिस्सा पूजा के मुख्य अनुष्ठाता संत अल्बर्टस कॉलेज के प्रोफेसर फादर प्रफुल बड़ा थे जिनका सहयोग पल्ली पुरोहित जॉन हेनरी तथा फादर लिबरातुस बड़ा ने दिया. मिस्सा के दौरान नृत्य एवं गीतों का संचालन पल्लीवासियों ने किया.
फादर प्रफुल बड़ा ने प्रवचन में कहा- नयाखानी नया अन्न खाने का पर्व है. इस त्योहार में नया अनाज प्राप्त करने की ख़ुशी व ईश्वर को धन्यवाद् देने का दिन होता है. इस त्यौहार को गोड़ा धान तैयार हो जाने पर अन्न जूठा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. फसल तैयार होने पर परिवार में भूख और तंगी समाप्त हो गयी है. इस दिन आदिवासी कृषक अपने सृष्टिकर्ता ईश्वर को याद करते हैं क्योकि ईश्वर ही अन्न, जल तथा जीवनदाता है. साथ ही मृत पूर्वजों को भी याद किया जाता है जिन्होंने परिवार, गोत्र, वंशावली, जमीन- जायजाद दी है.
उन्होंने कहा- ईश्वर तथा पूर्वजों को कृतज्ञता स्वरूप नया अनाज चढ़ाया जाता है और भावी जीवन में आशीर्वाद की कामना की जाती है. इसके बाद हे परिवार के लोग अन्न जूठा करते हैं. नवाखानी पारिवारिक एवं सामुदायिक त्यौहार भी है इसे पारिवारिक एवं सामुदायिक दोनों स्तरों पर जोरों मनाया जाता है. इस अवसर पर नए अनाज का चिवड़ा बनाया जाता है. साधारण भात, मुर्गा-खिचड़ी, खीर भात आदि पकवान बनाये जाते हैं. सामुदायिक स्तर पर गाँव के लोग एक दूसरे के घर जाकर अपनी ख़ुशी का इजहार करते हैं.
फादर बड़ा ने आगे कहा नयाखानी पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब हमारा सोच, विचार, कर्म और रिश्तों में नयापन आएगा. पूर्वजों के धरोहर जल, जंगल और जमीन की रक्षा करना होगा. उनके द्वारा प्रदत्त परम्परा, भाषा, संस्कृति, रीति रिवाज, गीत, संगीत, नृत्य और बाद्य यंत्र को बनाये रखने की आवश्यकता है.