#Yangon: म्यांमार की कोर्ट ने सोमवार को रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के दो जर्नलिस्ट को 7 साल जेल की सजा सुनाई है. रायटर्स के जिन रिपोटर्स को यह सजा सुनाई गई है वो हैं वा लोन (32) और क्याव सो ऊ (28). मामले की सुनवाई करते हुए म्यांमार कोर्ट के जज ये लविन ने कहा कि दोनों ने म्यांमार के गोपनीयता कानून को तोड़कर रोहिंग्या मामले की रिपोर्टिंग की.
फैसला मीडिया की आजादी पर हमला, संगठनों ने भी नाराजगी जताई
This conviction of the 2 Reuters reporters is a hammer blow against media freedom in #Myanmar, showing just how afraid the #Tatmadaw & #Myanmar government are of investigative journalism and critical commentary customarily found in a real democracy. #FreeWaLoneKyawSoeOo @hrw pic.twitter.com/xmRWol9CPT
— Phil Robertson (@Reaproy) September 3, 2018
ह्यूमन राइट्स वॉच के एशिया डायरेक्टर फिल रॉबर्टसन ने ट्वीट करके कहा, “रॉयटर्स के दो रिपोर्टर्स को दोषी करार दिया जाना म्यांमार में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है. ये दिखाता है कि इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिज्म से म्यांमार सरकार किस तरह डरती है.” लोन और ऊ को जुलाई में गोपनीयता कानून तोड़ने का दोषी पाया गया था. इसके तहत अधिकतम 14 साल की सजा हो सकती थी.
म्यांमार की आर्मी पर आरोप
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के फैक्ट फाइंडिंग मिशन की एक रिपोर्ट में म्यांमार की सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया. यह भी कहा गया कि सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या की, उन्हें जेल में डाला और यौन शोषण किया. लिहाजा म्यांमार के सैन्य अफसरों पर नरसंहार का केस चलना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, “म्यांमार की मिलिट्री कभी भी लोगों को जान से मारने, महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने, बच्चों की हत्या और पूरे गांव को बर्बाद कर देने की सफाई नहीं दे सकती. रखाइन राज्य में म्यांमार सेना का ऐसा करना एक तरह से सुरक्षा के लिए खतरा है.” म्यांमार की आर्मी इन आरोपों का खंडन कर रही है. अब तक करीब 7 लाख रोहिंग्या देश छोड़कर बांग्लादेश जा चुके हैं.