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Ranchi: झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC 6) की छठी सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पर महाधिवक्ता (Advocate General) राजीव रंजन ने सरकार को हाईकोर्ट के फैसले को लागू करने की सलाह दी है. इस परीक्षा की प्रक्रिया को पूरी होने में पांच साल लगे थे. रिजल्ट जारी होने के 11 महीने बाद 7 जून को हाईकोर्ट ने चयन प्रक्रिया को अवैध बताते हुए 326 अधिकारियों की नियुक्तियां निरस्त कर दी थीं.
जेपीएससी को मेरिट लिस्ट में गलत तरीके से जोड़े गए क्वालिफाइंग मार्क्स हटाकर आठ सप्ताह में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था. यह समय सीमा 5 अलगस्त को पूरी हो रही है. कोर्ट ने जेपीएससी के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया था.
कोर्ट ने कहाथा कि आयोग की विश्वसनीयता कायम रहे इसके लिए जेपीएससी पर कार्रवाई करना जरूरी है. मेरिट लिस्ट बनाने में जिन अधिकारियों की भूमिका रही है, उन्हें चिन्हित कर कार्रवाई करें.
बता दें कि हाईाकेर्ट का फैसला आने के बाद जेपीएससी के वकील संजय पिपरवाल ने कहा था कि मेरिट लिस्ट तय नियमों के अनुसार ही बनाई गई है. सरकार कोर्ट के आदेश को ऊपरी अदालय में चुनौती देगी. वहां पूरी मजबूती से अपनी बात रखेंगे.
एलपीए में नहीं जाने की सलाह
मीडिया की खबरों हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील याचिका (एलपीए) दायर करने के बजाय आदेश का अनुपालन करने की सलाह महाधिवक्ता ने इसलिए दी है कि कथित गड़बडि़यों के लिए राज्य सरकार पर भी आक्षेप न आ जाए. अगर एलपीए में जाने की राय देते तो गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई में विलंब होता. यह माना जा सकता है कि सरकार वैसे लोगों को बचाने के लिए एलपीए में आई है.
फैसला लेने के लिए सीएम को भेजी फाइल
महाधिवक्ता की राय के बाद कार्मिक विभाग ने सीएम को फाइल भेज दी है. मुख्यमंत्री का फैसला आने के बाद विभाग जेपीएससी को इससे अवगत कराएगा. इधर, राज्य सरकार इस मामले में गड़बड़ी करने वालो को चिन्हित कर उसके खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू करेगी.
आदेश का पालन न हुआ तो अवमानना का खतरा
अगर सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना का सामना करना पड़ सकता है. निज अभ्यर्थियों की याचिका पर यह निर्णय हुआ है, वे अवमाननावाद दायर कर सकते हैं. इस संभावना को देखते हुए राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. दोषी अधिकारियों को चिन्हित करने के लिए जेपीएससी से भी कागजात मंगाने की प्रक्रिया एक-दो दिन में शुरू होगी.
कोर्ट को इन पर थी आपत्ति
- पेपर वन हिंदी और अंग्रेजी के अंक क्वालिफाइंग थे, जिसे मेरिट लिस्ट बनाने में नहीं जोड़ना था. लेकिन आयोग ने इसे जोड़कर मेरिट लिस्ट बना दी.
- हर विषय में पास करने का अंक अलग-अलग तय था. पीटी में इस पालन हुआ, लेकिन मुख्य परीक्षा में एक ही विषय के दो पेपर मिलाकर पासिंग मार्क्स तय कर दी.
कोर्ट ने कहा था कि गलत तरीके से मेरिट लिस्ट में जोड़े गए क्वालिफाइंग मार्क्स को हटाकर नई मेरिट लिस्ट जारी करें.
दोषियों को चिन्हित करने के लिए बन सकती है कमेटी
हाईकोर्ट ने नई मेरिट लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी जेपीएससी को दी है. वहीं दोष्ज्ञी अफसरों पर कार्रवाई सरकार को करनी है. लेकिन अब एक तकनीकी पेंच फंस रहा है कि आखिर दोषियों को चिन्हित कौन करेगा. जेपीएससी की ओर से ही दोषी अफसरों को चिन्हित करने का काम काफी मुश्किल बताया जा रहा है, क्योंकि जिस आयोग ने गलती की, वही खुद को कैसे दोषी ठहराएगा. ऐसे में दोषियों को चिन्हित करने के लिए अलग से कमेटी बनाई जा सकती है या फिर किसी अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
कुछ अधिकारियों की जा सकती है नौकरी
जेपीएससी को नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार कर सरकार को भेजनी है. उसी आधार पर सरकार नियुक्ति करेगी. यानी सभी लोगों को नया नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. नई मेरिट लिस्ट बनने से कुछ लोग बाहर हो सकते हैं और उनकी नौकरी जा सकती है. वहीं कुछ लोगों का संवर्ग बदल सकता है.