नगर निकाय चुनाव झारखंड 2023: झारखंड में नगर निकाय के चुनाव कब होंगे. इसकी कोई चर्चा नहीं कर रहा है. इस अप्रैल महीने में रांची नगर निगम समेत 35 निकायों के कार्यकाल समाप्त हो जाएंगे. इसके बाद निगम बोर्ड पर संवैधानिक लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. मई महीने से निगम में सरकारी बाबूओं का राज होगा. साफ-सफाई, सडक-नाली, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कामों के लिए वार्ड पार्षद को फोन करने के बजाय निगम कार्यालय में बाबूओं के चक्कर लगाने होंगे. झारखंड में 13 निकायों के चुनाव तो साल 2020 से ही लंबित है.
अक्टूबर तक हो सकते हैं निकाय चुनाव
जानकारी के अनुसार सरकार दो से तीन महीने के भीतर ट्रिपल टेस्ट कराकर नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी में है. ऐसे में अक्टूबर तक चुनाव होने की उम्मीद है. झारखंड में नगर निकाय चुनावों में पिछडा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने की पहल शुरू हो गई है.
नगर विकास विभाग ने ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठन का प्रस्ताव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भेजा है. अब जल्द ही होईकोर्ट के रिटायर्ड या वर्तमान जस्टिस की अध्यक्षता में आयोग का गठन होने की उम्मीद है. इसके बाद आयोग की अनुशंसा पर ओबीसी आरक्षण का प्रावधान कर सरकार नगर निकाय चुनाव कराने की दिशा में आगे बढेगी.
सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक साथ पूरे राज्य के नगर निकायों का चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराने का फैसला लिया था. इसके लिए आरक्षण रोस्टर बदला गया था, जिससे रांची नगर निगम के मेयर का पद एससी के लिए रिजर्व हो गया था. चुनाव कार्यक्रम पर राज्यपाल ने भी सहमति दे दी थी. सिर्फ राज्य निर्वाचन आयोग को अधिसूचना जारी करनी थी.
इसी बीच आदिवासी संगठन विरोध में उतर आए. आनन-फानन में सरकार ने टीएसी की बैठक बुलाई. उसमें सहमति के आधार पर चुनाव स्थगित कर दिया गया.
निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट क्या होता है
महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव को लेकर हुए विवाद पर हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण देने का आदेश दिया था. उस आदेश के बाद अन्य राज्यों में हाईकोर्ट ने भी इसी आधार पर आरक्षण का प्रावधान करने को कहा था.
कोर्ट ने कहा था कि सरकार अगर जरूरी समझती है तो बिना ओबीसी आरक्षण के निकायों का चुनाव करा सकती है. लेकिन अगर ओबीसी आरक्षण देना चाहती है तो उसे ट्रिपल टेस्ट कराना जरूरी होगा. इसके लिए राज्य सरकार को आयोग का गठन करना होगा. आयोग विस्तृत और व्यावहारिक डाटा के आधार पर निकायों में ओबीसी के प्रतिनिधित्व का आकलन करेगा. हालांकि इसके लिए कुछ आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी. यानी निकायों में एसटी-एससी को मिलने वाले आरक्षण को 50 फीसदी की सीमा से घटाते हुए शेष सीटों पर ओबीसी को आरक्षण मिलेगा.
यूपी में ट्रिपल टेस्ट के बाद झारखंड में भी बढा दबाव
उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इसके विरोध में कुछ लोग हाईकोर्ट चले गए. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि अगर वह जरूरी समझती है तो बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करा सकती है. इसी बीच हालात को देखते हुए योगी सरकार ट्रिपल टेस्ट का गठन करते हुए सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराना चाहती है. इसके लिए आयोग का गठन कर लिया गया है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद अन्य राज्यों की सरकार भी बिना आरक्षण चुनाव कराने को राजनीतिक दृष्टिकोण से अहितकर मानने लगी. इसी को देखते हुए झारखंड सरकार ने भी ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का फैसला लिया है.