Ranchi: 16 नवंबर दोपहर 12:30 बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren meeting) ने विधायकों के साथ आपात बैठक बुलाई है. यह बैठक एक दिन पहले 15 नवंबर शाम 7 बजे ही बुलाई गई थी. आनन-फानन में बुलाए गए इस मीटिंग कुछ ही विधायक और मंत्री पहुंच सके थे.
बताया गया कि 15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस (Jharkhand Sthapana Diwas) के कारण सभी विधायक और मंत्री अपने-अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों में व्यस्त थे. इसलिए वह सीएम हाउस में बुलाए गए मीटिंग में नहीं आ सके.
विधायकों के नहीं आने के कारण अब यह मीटिंग 16 नवंबर दोपहर 12:30 बजे रखी गई है. झामुमो के सभी विधायक तय समय से पहले मुख्यमंत्री आवास पहुंच जाएंगे.
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झारखंड स्थापना दिवस में दिखी राजभवन-सीएमओ में टकराव
झारखंड स्थापना दिवस के दौरान सियासी तापमान चरम पर है. यह टकराव अब सबके सामने आ गया है. मोराबादी मैदान आयोजित मुख्य कार्यक्रम में राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) मुख्य अतिथि बनाया गया था. कार्ड में नाम भी छप गए थे. लेकिन राज्यपाल ने अंतिम समय में कार्यक्रम में आने से मना कर दिया.
भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda) के कोकर स्थित समाधि स्थल और बिरसा चौक पर माल्यार्पन करने के लिए भी दोनों पहली बार अलग-अलग गए.
बीजेपी के सांसद निशिकांत दूबे (Nishikant Dubey tweet) ने लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की नज़र में महामहिम झारखंड के राज्यपाल चपरासी के बराबर हैं,आज स्थापना दिवस है और आज ही उनको निमंत्रण,इतना अहंकार ,शब्दों की मर्यादा नहीं! आज अख़बार के विज्ञापन में राज्यपाल जी का फ़ोटो नहीं,यह राज्य प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी है और इसके अधिकारी उनके चमचे.
राज्यपाल का अपमान इसलिए समारोह में शामिल नहीं हुए
रांची के सांसद संजय सेठ (Ranchi MP Sanjay seth statement) भी मोराबादी में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. संजय सेठ ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस का अपमान किया. स्थापना दिवस के विज्ञापन में सिर्फ मुख्यमंत्री की तस्वीर थी. सीएम ने सारी मर्यादा तार-तार कर दी. राजभवन के खिलाफ मुख्यमंत्री हाईकोर्ट चले गए. फिर ऐसी स्थिति में कोई समारोज में कैसे जा सकता है.

हेमंत सोरेन ने राज्यपाल के खिलाफ दायर की याचिका
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन लीज मामले में राज्यपाल के खिलाफ झारखंंड हाईकोर्ट (Jharkhand Highcourt RIT) में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में हेमंत सोरेन ने अदालत से कहा है कि राज्यपाल रमेश बैस को चुनाव आयोग की राय पर आगे कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया जाये. याचिका में राज्यपाल और चुनाव आयोग को पार्टी बनाया गया है.
हेमंत सोरेन के वकील पियुष चित्रेश (Advocate Piyush Chitresh) द्वारा दायर याचिका में खनन लीज के संबंध में चुनाव आयोग से राज्यपाल द्वारा कथित तौर पर मांगी गई दूसरी राय पर भी सवाल उठाया गया है. इसे असंवैधानिक बताया गया है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से 142 पेज में याचिका दायर की गई है. याचिका में कुछ दिनों से सरकार को अस्थिर करने के लिए किए गए कार्यों की जानकारी भी कोर्ट को दी गई है.
याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल के विवादित बयानों से राज्य में राजनीतिक राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है. सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है.
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देश का पहला मामला, गवर्नर के खिलाफ केस नहीं हो सकता
कानून के जानकार और चार राज्यों के राज्यपाल रहे केसरीनाथ त्रिपाठी (Keshri Nath Tripathi) ने एक अखबार के इंटरव्यू में बताया कि देश की यह पहली घटना है, जब कोई मुख्यमंत्री अपने राज्य के राज्यपाल के खिलाफ ही कोर्ट गया है. राज्यपाल के खिलाफ कोई केस नहीं हो सकता.
केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि राज्यपाल के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सकता. इसी ग्राउंड पर हाईकोर्ट याचिका रद्द कर सकती है.