Chandrayaan 3 soft landing Technique: चंद्रयान-3 आज शाम को सॉफ्ट-लैंडिंग की कोशिश करेगा. इसके लिए हर जरूरी तैयारी पूरी कर ली गई है. इस बीच इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को इसरो के विशेषज्ञों सहित कई जानकारों ने ‘17 मिनट का खौफ’ करार दिया है. इस 17 मिनट में क्या होगा. चंद्रयान 3 मून के साउथ पोल पर कैसे सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा, उसी तकनीक को आसान भाषा में यहां समझने की कोशिश करेंगे.
इसरो के अनुसार चंद्रयान के विक्रम लैंडर के लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी. इसके तहत लैंडर को अपने इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना होगा. उसे सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना होगा और आखिरकार सॉफ्ट लैंडिंग से पहले यह पता लगाना होगा कि किसी प्रकार की रूकावट या पहाड़ी क्षेत्र या गड्ढा नहीं हो.
सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद इसरो बेंगलुरु के निकट बयालालू में अपने भारतीय गहन अंतरिक्ष नेटवर्क (IDSN) से निर्धारित समय पर लैंडिंग से कुछ घंटे पहले सभी आवश्यक कमांड एलएम पर अपलोड करेगा.
सबसे जरूरी स्पीड कंट्रोल
इसरो के साइंटिस्ट के अनुसार, लैंडिंग के लिए, लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर पावर ब्रेकिंग स्टेज में एंट्री कर जाता है. स्पीड को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन को ‘रेट्रो फायर’ करके उपयोग करना शुरू करता है. विशेषज्ञों के मुताबिक इससे यह तय हो जाता है कि लैंडर दुर्घटनाग्रस्त न हो, क्योंकि इसमें चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभावित करता है.
लैंडिंग से पहले स्कैन से करेगा
इसे देखते हुए 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर के दो इंजन बंद कर दिये जाएंगे, केवल दो इंजन पर काम होगा. इसका उद्देश्य लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ देना होता है. करीब 150-100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल करके पहले चंद्रमा के सतह को स्कैन करेगा. इससे लैंडिंग से पहले पता चल जाएगा कि कोई रूकावट तो नहीं है. सबकुछ सही मिला तो लैंडर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू करेगा.
लैंडर व रोवर की लाइफ सिर्फ 14 दिन
सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद, रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके, लैंडर से बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. वहां के परिवेश का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस (लगभग 14 पृथ्वी दिवस) का होगा.