ठंड पड़ने लगी है. बरसात के बाद हमने अभी अपनी दिनचर्या में बहुत बदलाव नहीं किया है. मौसम की तरह हमें भी अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की जरूरत है.
आमतौर पर सर्दी के मौसम में बीमारियां कम हो जाती हैं. खासतौर से बैक्टीरिया और पैरासाइट्स के कारण उत्पन्न होने वाली बीमारिॅयां इस मौसम में कुछ कम हो जाती हैं. क्योंकि मच्छर , मक्खी, पिस्सू इत्यादि इन रोगों के वाहक इस मौसम में कम हो जाते हैं. बारिश खत्म हो चुकी होती है और सर्दी के वजह से मनुष्य भी जल का प्रयोग कम करता है, जिससे अनावश्यक जलजमाव रुक जाता है. परिणाम स्वरूप जल जनित बीमारियां कम हो जाती हैं.
लेकिन सर्दी के मौसम में अन्य बीमारियों की भरपाई रक्त संचार संबंधी शारीरिक गड़बड़ियां कर देती हैं. इनमें उच्च रक्तचाप प्रमुख है. सर्दी के मौसम में उच्च रक्तचाप के कारण-
1- ठंड के कारण धमनियों का संकुचित हो जाना. जिसके कारण रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाए रखने के लिए मस्तिष्क और हार्ट को अधिक कार्य करना पड़ता है.
2- रक्त में गाढ़ापन और कभी-कभी थक्के बनना. इससे भी शिराओं और धमनियों में रक्त संचार धीमा और बलपूर्वक होने लगता हैं जो ब्रेन, हार्ट, किडनी एवं फेफड़े चारों के लिए घातक है.
3- धमनियों में अवरोध के कारण मस्तिष्क में रक्त संचार की कमी. जिसके कारण मस्तिष्क सुस्त होने लगता है. जिसकी पूर्ति ब्रेन हार्ट रेट और रक्त संचार को बढ़ाकर करता है.
4- पसीने की कमी. पसीने से नमक काफी अधिक मात्रा में शरीर से बाहर जाता है. किंतु जाड़े के मौसम में पसीना नहीं निकलता जिसके कारण भी नमक का कंसंट्रेशन रक्त में बढ़ जाता है जो उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है.
5- सर्दी के मौसम में दिन छोटे होने के कारण काम के घंटे कम हो जाते हैं जो व्यवसाय के लिए नुकसानदेह हैं. इसके कारण व्यक्ति में सोचने की प्रक्रिया बढ़ जाती है जो अवसाद का कारण बनती है, और मस्तिष्क की यही अति सक्रियता उच्च रक्तचाप का कारण.
6- व्यायाम की कमी. जाड़े के मौसम में ठंड और आलस्य के कारण मनुष्य लिहाफ़ से बाहर नहीं निकलना चाहता. वार्मअप, व्यायाम और योगासन जैसी सही और रक्त संचार को सक्रिय रखने वाली प्रक्रियाएं घट जाती हैं, जो रक्त के जमाव को प्रोत्साहित करती हैं. फल स्वरूप उच्च रक्तचाप प्रभावी हो जाता है.
7- फास्ट फूड और तैलीय भोजन का प्रयोग बढ़ना. इससे लिवर फंक्शन प्रभावित होता है. रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रोल का डिपाजिशन होने लगता है जो सहज रक्तचाप को बढ़ावा देता है.
8- मुख्य शरीरसंचालक अंगों को रक्त की कमी हो जाना. शरीर के हर अंग को सही ढंग से कार्य करने के लिए एक निश्चित मात्रा में रक्त की आवश्यकता होती है. जिसके ना मिलने के कारण उनकी कार्य क्षमता घट जाती है. जैसे किडनी फंक्शन कमजोर होने से शरीर में प्रोटीन , क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा बढ़ जाती है, जो ब्रेन टाक्सीमियां की प्रमुख कारण है. जिसके फलस्वरूप रक्तचाप का बढ़ना स्वाभाविक है.
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शीतकालीन उच्च रक्तचाप के दुष्प्रभाव
1- ब्रेन हेमरेज अथवा ब्रेन स्ट्रोक
रक्तचाप के बढ़ जाने से मस्तिष्क की धमनियां फट सकती हैं. जाड़े के दिनों में मॉर्निंग वाक अथवा टॉयलेट में इसे अक्सर होते हुए पाया जाता है.
2- हार्ट अटैक अथवा हार्ट ब्लॉक
रक्त के थक्के जम जाने, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने, अथवा हार्ट को जमे हुए रक्त को संचालित करने के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है. जिसके कारण उसके मस्कुलेचर को कोरोनरी आर्टरी प्रचुर मात्रा में रक्त प्रदान नहीं कर पाती. यही एंजाइना, हार्ट ब्लॉक एवं हार्ट अटैक का कारण बनता है.
3- हाइपर एसिडिटी
मस्तिष्क की अति सक्रियता के कारण आमाशय में एच सी एल और पेप्सीन स्राव बढ़ जाता है जो हाइपरएसिडिटी का कारण बनता है और पाचन को प्रभावित करता है.
4- लिवर फंक्शन का दुष्प्रभावित होना–
जाड़े के दिनों में फैट का ज्यादा सेवन करने के कारण पोर्टल आरट्री एंगार्ज्ड हो जाती है जो हाई ब्लडप्रेशर के साथ-साथ पाइल्स का भी कारण बनती है.
5- सर दर्द ,अवसाद ,बेचैनी और बात बात पर गुस्सा करना.

बचाव
1- ठंडक से बचा जाय.
2- सुबह अच्छी तरह वार्म अप करके ही बाहर टहलने निकला जाय.
3- भरसक रोज सुबह घर में ही व्यायाम किया जाय.
4- सुबह पूरे शरीर में तेल की मालिश कर यदि संभव हो तो कुछ समय तक धूप का सेवन किया जाय.
5- स्नान से पहले तेल मालिश अवश्य करें.
6- हंसने और खिलखिलाने का औसर तलाशा जाय. जिससे औसाद से बचा जा सकेगा.
7- हरी सब्जियों सलाद फल और दूध का सेवन किया जाय.
8- शहद का सेवन करें. भोजन में नमक की मात्रा कम करें.
9- गर्म वस्त्रों अथवा अन्य साधनों से शरीर के तापमान को नियंत्रित किया जाय.
10-भोजन में विटामिन डी ,सी और बी12 की मात्रा कुछ बढ़ाई जाय.
11- फास्ट फूड और अत्यधिक तैलीय भोजन से बचें.
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