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Ranchi: झारखंड के किसानों को सरकार द्वारा धान की खरीद का एक सप्ताह में होने वाला भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. कायदे से किसानों को धान बेचने के एक सप्ताह के अंदर पैसा किसानों के बैंक खाते में पहुंच जाना चाहिए. बावजूद इसके उनके बैंक खाते में धान का पैसा नहीं मिला है.
धान बेचने के बाद किसानों को रसीद दिया गया. तब उनके मोबाइल पर एसएमएस से मैसेज भी आया कि पैसा उनके खाते में 7 दिन के भीतर ट्रांसफर कर दिया जाएगा. इसके बावजूद किसानों को धान का पैसा नहीं मिल पाया है.

सूबे में झारखंड स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन लि के द्वारा लैम्पस के जरिये किसानों से धान की खरीद की गई है. किसानों के धान बेचे हुए छह सप्ताह से ज्यादा हो गये. एक सप्ताह में मिलने वाला पैसा उन्हें अभी तक नहीं मिला है. रसीद लेकर वह परेशान हैं. सरकारी अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं.
सरकार के बजट में किसानों की ऋण माफी
हेमंत सोरेन की सरकार ने 2020-21 की बजट में किसानों के ऋण माफी का ऐलान किया है. आजसू विधायक सुदेश महतो द्वारा पूछे गये सवाल में सरकार ने माना है कि झारखंड में किसानों के पास 7000 करोड़ रुपये का कर्ज है. जबकि मौजूदा सरकार ने बजट में सिर्फ 2000 करोड़ रुपये तय किये हैं. मतलब साफ है यहां के किसान 3000 करोड़ रुपये के कर्जदार बने रहेंगे.

सुदेश महतो ने इस मामले को बजट सत्र के दौरान उठाया है और सवाल खड़ा करते हुए कहा है झामुमो के घोषणा पत्र और बजटीय भाषण में जमीन आसमान का अंतर है.
आर्थिक तंगी से किसान आत्महत्या
करीब 15 दिन पहले अखबारों में एक छोटी सी खबर छपी थी. जिसके अनुसार गढ़वा के बसिया के एक किसान का शव राउलकेला रेलखंड में बानो और कानारोवा स्टेशन के बीच मिला था. 50 साल के दिग्विजय कुमार के किसान ने अपने सुसाइट नोट में लिखा कि आर्थिक तंगी के कारण उसने अपनी जान दी.