Ranchi: झारखंड में अब नगर निकाय चुनाव रोस्टर आधारित नहीं होंगे. हेमंत सोरेन की सरकार ने इसके नियम में बड़ा बदलाव किया है. सरकार की कैबिनेट ने इसके लिए झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 के प्रारुप को मंजूरी दी है.
नगरपालिका संशोधन विधेयक में चक्रानुक्रम (रोस्टर सिस्टम) को खत्म करने का फैसला किया है. इसे कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई है. सरकार के इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि अगले 5 महीने में झारखंड में नगर निकाय चुनाव होंगे.
राज्य सरकार ने निकाय चुनाव के लिए आबादी के आधार पर आरक्षण का सिद्धांत अपनाने का निर्णय लिया है. इस फैसले के बाद जिस नगर निकाय क्षेत्र में जिस वर्ग की आबादी अधिक होगी, उसे ही अध्यक्ष पद का अधिकार मिलेगा.
ऐसे में रांची और आदित्यपुर जैसे निकायों में मेयर या अध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित होगा तो धनबाद में यही पद अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हो जाएगा.
बोकारो और देवघर में सामान्य वर्ग के लोग मेयर बन सकते हैं.
झारखंड में निकाय चुनाव के लिए मेयर या अध्यक्ष पद निर्धारित करने के लिए ऑफिशियली विभिन्न वर्गों के जनसंख्या का विश्लेषण किया जाएगा. इस पर आधिकारिक रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही झारखंड के सभी निकाय क्षेत्रों में चुनाव कराये जा सकेंगे.
उम्मीद जतायी जा रही है कि इस प्रक्रिया में तीन-चार मााह का समय लग सकता है.
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झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 पर विधानसभा में होगी बहस
नगरपालिका चुनाव का नियम बदलने के लिए सरकार में विधानसभा में संशोधन विधेयकर पारित करना होगा. अभी विधेयक के प्रारूप को कैबिनेट की मंजूरी मिली है.
19 दिसंबद से झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा. सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 को पास करा सकती है.