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Ranchi: झारखंड की हेमंत सरकार स्थानीयता को नए सिरे से परिभाषित करेगी. रघुवर दास सरकार की बनाई स्थानीय नीति में बदलाव होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने मंगलवार को बैठक कर इसमें बदलाव करने का निर्णय लिया.
स्थानीयता को नये सिरे से परिभाषित करने के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी का गठन होगा. जिसमें तीन सदस्य होंगे. सदस्यों के चयन के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अधिकृत कर दिया गया है.
मालूम हो कि राज्य में लागू स्थानीय नीति रघुवर दास सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को लागू की थी. इसमें 1985 से राज्य में रहने वालों को स्थानीय माना गया है. इसमें थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में प्राथमिकता और कई स्थानों उनके लिए पूरी तरह से रिजर्व रखने की बात थी.
2 मार्च को राज्य सरकार ने विधानसभा में विधायक विनोद सिंह के एक सवाल के जवाब में कहा था कि स्थानीय नीति में सुधार का कोई औचित्य नहीं है.
उल्लेखनीय है कि झामुमो ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कहा था कि जहां तक आवश्यकता होगी, वर्तमान स्थानीय नीति में बदलाव किया जाएगा। जनता की भावना के अनुरूप नई स्थानीय नीति बनेगी.
झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन सरकार बनने के बाद झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 15 जनवरी को कहा था कि स्थानीय नीति के लिए कट ऑफ डेट 1932 ही किया जाना चाहिए.
मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 25 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई. इनमें सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता के नेतृत्व में प्रशासनिक सुधार आयोग के गठन का प्रस्ताव और अन्य महत्वपूर्ण निर्णय हैं.
झामुमो के वरीय नेता स्टीफन मरांडी बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष होंगे. वर्तमान में वे इसके उपाध्यक्ष थे. कैबिनेट के निर्णय के अनुसार स्थानीयता को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए मुख्यमंत्री शीघ्र ही कमेटी का गठन करेंगे, जिसे निर्धारित समय के भीतर रिपोर्ट देने को कहा जाएगा. इस रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक प्रक्रिया पूरी करते हुए स्थानीयता को नए सिरे से परिभाषित किया जाएगा.
बता दें कि राज्य में नई सरकार बनने के बाद से ही झामुमो नेता स्थानीयता नए सिरे से परिभाषित करने पर जोर देते रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सह झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन तो 1932 के खतियान पर स्थानीयता तय करने की भी बात तक कह चुके हैं. इसके पूर्व रघुवर कैबिनेट ने राज्य गठन के पूर्व 15 वर्षों से झारखंड में रह रहे लोगों को स्थानीय माना था.
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हाईकोर्ट बिल्डिंग के शेष हिस्से के लिए फिर से होगा टेंडर
हाईकोर्ट भवन के पूरा होने को लेकर अब कोई संशय नहीं है. सरकार ने निर्णय लिया है कि अब तक जो काम हुआ है उसे खत्म मानकर शेष हिस्से के लिए फिर से टेंडर कराया जाए. कैबिनेट ने इसके लिए 106.21 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति प्रदान की है. बताते चलें कि हाईकोर्ट भवन निर्माण के लिए पूर्व में 267 करोड़ रुपये पर काम करने का टेंडर हुआ था जिसपर 295 करोड़ रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं. इसमें कुछ अनियमितता भी पाई गई थी.
महंगाई भत्ते में 10 से 17 फीसद की बढ़ोतरी
कैबिनेट ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए छठा वेतनमान ले रहे राज्य सरकार के कर्मियों को एक जुलाई 2019 के प्रभाव से महंगाई भत्ता में दस फीसद की बढ़ोतरी किया है. पेंशन धारियों को भी इसका लाभ मिलेगा. इससे इतर पांचवां वेतनमान ले रहे लोगों के लिए महंगाई भत्ते में 17 बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है.
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प्रशासनिक सुधार आयोग छह महीने में सौंपेगा रिपोर्ट
कैबिनेट की बैठक में प्रशासनिक सुधार आयोग के गठन पर भी सहमति बनी. पूर्व विकास आयुक्त देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में बनी कमेटी में उनके अलावा पांच और सदस्य होंगे. कमेटी छह माह में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी जिसमें प्रमुख रूप से विभागीय संरचना और अन्य बिंदुओं पर चर्चा होगी. इसमें पांच सदस्य होंगे. कमेटी के पांच सदस्यों में कार्मिक सचिव, अभियंत्रण विशेषज्ञ, प्रबंधन विशेषज्ञ, सूचना प्रोद्योगिकी के विशेषज्ञ और एक विशेष सचिव अथवा संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होंगे, जिन्हें कार्मिक विभाग नामित करेगा.
यह कमेटी विभागों की संरचना, पुनर्गठन, जवाबदेही और दक्षता में सुधार को लेकर अपनी अनुशंसा देगी. इसके अलावा विभागों में कार्यरत महत्वपूर्ण एजेंसियों की भूमिका को फिर से परिभाषित करेगी और आवश्यकता के अनुरूप इन्हें संशोधित भी करेगी. सकारात्मक परिणाम के लिए विभागीय प्रारूप भी बदले जा सकेंगे.
प्रखंड कार्यालयों में होगी विधायकों की बैठने की व्यवस्था
प्रत्येक प्रखंड कार्यालयों में संंबंधित विधायकों की भी बैठने की व्यवस्था होगी. कैबिनेट की बैठक में इसकी भी स्वीकृति मिली. कई विधायक इसकी लगातार मांग कर रहे थे.
अन्य महत्वपूर्ण फैसले
पोस्को एक्ट के अंतर्गत लंबित मामलों के त्वरित सुनवाई एवं निष्पादन के लिए अस्थाई रूप से एक वर्ष के लिए गठित 22 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के लिए जिला न्यायाधीश स्तर के 22 पदों के सृजन को स्वीकृति. इसके लिए 154 अराजपत्रित पदों के सृजन पर घटनोत्तर स्वीकृति.
- झारखंड वरीय न्यायिक सेवा में जिला न्यायाधीश के पद पर सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किए गए तीन अभ्यर्थियों की नियुक्ति की कार्रवाई पर घटनोत्तर स्वीकृति.
- झारखंड राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन की नियुक्ति को घटनोत्तर स्वीकृति.
- हजारीबाग जिला अंतर्गत बरही अनुमंडल में न्यायिक दंडाधिकारी के दो न्यायालय के गठन को मंजूरी.
- डॉ वीरेंद्र कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, रेफरल अस्पताल डोमचांच, कोडरमा को सेवा से विमुक्त करने की स्वीकृति. इनके साथ-साथ डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव, चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ईचागढ़, सरायकेला- खरसावां को सेवा से विमुक्त करने की स्वीकृति दी गई. दोनों पर अनियमितता के आरोप थे.
- झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद विधेयक-2020 के गठन की स्वीकृति.
- झारखंड मोटर वाहन करारोपण (संशोधन) विधेयक, 2020 का प्रारूप स्वीकृत.
- संविधान के 126वें संशोधन विधेयक, 2019 का अनुसमर्थन करने पर घटनोत्तर स्वीकृति दी गई. इसके तहत अब 2030 तक एसटी और एससी बिरादरी को आरक्षण का लाभ मिलेगा.
- पाकुड़ के हिरणपुर मौजा के बागशीशा में 20 एकड़ गैरमजरूआ खास जमीन जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना के लिए भारत सरकार को निश्शुल्क देने का निर्णय.
- झारखंड राज्य के अधीनस्थ न्यायालयों के लिए 24 कोर्ट मैनेजर के स्थायी पदों के सृजन की स्वीकृति.
- विभिन्न सहकारी समितियों (लैंपस/पैक्स) में कार्यरत/सेवानिवृत्त सहकारिता प्रबंधकों/पेड मैनेजरों द्वारा पूर्व में की गई सेवा की गणना करने का निर्णय.