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Ranchi: झारखंड के गुमला की रहने वाली मुन्नी कुमारी आज बहुत खुश है क्योंंकि वह आत्मनिर्भर हो चली है. वाजिब मेहनत का वाजिब पैसा मिलने से वह आत्मविश्वास से गदगद है. दरअसल मुन्नी सेनिटरी नैपकिन का करोबार करने वाली एक संस्था माही केयर फाउंडेशन से जुड़ी है. वह बताती है कि पहले फैक्ट्री में काम करती थी. खूब मेहनत करना पड़ता था. इससे जो थोड़े पैसे आते थे उससे घर का खर्चा नहीं चल पाता था.
स्वच्छता के साथ अच्छी आमदनी
आज मुन्नी कुमारी खुश है. उसका परिवार भी खुशहाल है. वह अपनी जैसी महिलाओं के बीच सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करती है. समझदार महिलाएं स्वच्छता के फायदों को समझती हैं और संस्थान का सैनिटरी नैपकिन मुन्नी से खरीदती हैं. इससे उसकी अच्छी आमदनी हो रही है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं जुड़ रही हैं
सैनिटरी नैपकिन का कारोबार करने वाली माही केयर फाउंडेशन संस्था बहुत ही कम समय एक साल के अंदर एक लाख महिलाओं को जोड़ा है. संस्था के चेरयमैन आशीष कुमार दीक्षित बताते हैं कि संस्था द्वारा प्लास्टिक मुक्त सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराया जाता है. अब इस संस्था से झारखंड के सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं भी जुड़ रही हैं और सैनिटरी पैड इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता फैला रही हैं.
22 महिलाओं को स्कूटी दिया गया
माही केयर फाउंडेशन के सैनिटरी पैड के कारोबार से गांव की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोड़ने के लिए कई स्कीम भी चलाई जा रही हैं. महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें उपहार दिए जाते हैं. हाल ही में संस्था की ओर से बेहतर कारोबार करने वाली 22 महिलाओं को स्कूटी दिया गया है.