Ahmadabad: गुजरात के नए धर्मांतरण कानून हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस कानून के प्रावधानों विवाह के जरिये जबरन या कपटपूर्ण तरीके से धर्मांतरण को दंडित करने की व्यवस्था की गई है. सोमवार को हाईकोर्ट की एक अदालल में मामले पर सुनवाई हुई.
बता दें कि गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 को प्रदेश में 15 जून को अधिसूचित किया गया था.
इस मामले को जल्दी सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीरेन वैष्णव की बेंच में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले की सुनवाई को मंजूरी देते हुये कहा कि इसके दो या तीन दिन बाद सूचीबद्ध किया जायेगा.
अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमटीएम हकीम ने इस स्तर पर कोई और जानकारी देने से मना कर दिया. गुजरात सरकार ने बजट सत्र के दौरान गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम विधेयक पारित किया था और राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 22 मई को इस कानून को मंजूरी प्रदान की.
धर्मांतरण विरोधी कानून प्रभावी होने के बाद गुजारत में कई एफआईआर
यह कानून 15 जून से प्रभावी हो गया और तब से अब तक इस कानून के तहत प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में कई प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है.
पुलिस के अनुसार इस कानून के तहत पहली प्राथमिकी वडोदरा के पुलिस थाने में समीर कुरेशी (26) नामक व्यक्ति के खिलाफ की गयी थी जिसने इसाई बन कर 2019 में सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरे धर्म की महिला को कथित रूप से प्रलोभन दिया था.
इस अधिनियम में विवाह के माध्मय से जबरन और गलत तरीके से धर्मांतरण कराने पर तीन से पांच साल की कैद और दो लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
अगर पीड़ित, नाबालिग, महिला, दलित और आदिवासी है तो सजा चार से सात साल तक की हो सकती है और तीन लाख रुपये से कम का जुर्माना नहीं लगाया जायेगा.