New Delhi: केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. यह समिति भारत में लोकसभा चुनाव और राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सोच की दिशा पर काम करेगी.
जानकारी के अनुसार वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बनी समिति इस संबंध में कानून लाने की संभावना तलाशेगी. एक संसदीय स्थायी समिति, विधि आयोग और नीति आयोग ने पहले ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव की जांच की थी और इस विषय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.
केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है, जहां ऐसी अटकलें हैं कि सरकार इस प्रस्ताव को प्रभावी करने के लिए एक विधेयक ला सकती है.
इस साल के अंत में पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं और 2024 में होने वाले आम चुनावों के साथ कुछ और राज्यों में चुनाव होने हैं, ऐसी अटकलें हैं कि एक राष्ट्र, एक चुनाव बहुत जल्द वास्तविकता बन सकता है.
यदि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू होता है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि पूरे भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे, और मतदान भी एक ही समय पर होगा.
1967 तक राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव होते रहे. हालाँकि, 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया और इसके बाद 1970 में लोकसभा को भंग कर दिया गया. इससे राज्यों और राज्यों के लिए चुनावी कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने 2014 के चुनाव घोषणापत्र में कहा था कि वह राज्य विधानसभाओं और लोकसभा दोनों के लिए एक साथ चुनाव कराने की एक पद्धति विकसित करने की कोशिश करेगी.
दिसंबर 2022 में विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों, भारत के चुनाव आयोग, नौकरशाहों और अन्य विशेषज्ञों की राय मांगी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार रख चुके हैं. नवंबर 2020 में पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “एक राष्ट्र, एक चुनाव न केवल बहस का विषय है बल्कि भारत के लिए एक आवश्यकता है. भारत में हर महीने चुनाव होता है, जिससे विकास बाधित होता है. देश को इतना पैसा क्यों बर्बाद करना चाहिए?”
लोकसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करने के लिए एक संयुक्त गठबंधन पर काम कर रहे विपक्षी भारत गठबंधन ने हालांकि इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है.
शिवसेना यूबीटी गुट के नेता संजय राउत ने कहा, “देश पहले से ही एक है, क्या कोई इस पर सवाल उठा रहा है? हम निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हैं, ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की नहीं. ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की यह अवधारणा ध्यान भटकाने के लिए लाई जा रही है.”
समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ”एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात पहले भी हुई थी…इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए. अगर सरकार सिर्फ विशेष सत्र बुलाकर फैसले पर मुहर लगाना चाहती है तो” गलत बात है.”
अब राष्ट्रपति कोविन्द के नेतृत्व में नवगठित समिति के साथ यह उम्मीद है कि सरकार इस प्रस्ताव पर तेजी से काम करेगी.