Ranchi: 15 अप्रैल को आदिवासियों का प्रकृति पर्व सरहुल मनाया जाएगा. पिछले साल 20 मार्च को सरहुल मनाया गया था. तब कोरोना को लेकर न लॉकडाउन था और न कोई गाइडललाइन. कोरोना महामारी की वजह से पहली बार सरहुल की जश्न फीकी होने वाली है. न कोई जुलूस निकलेगा और न शोभायात्रा निकलेगी. कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर को देखते हुए पारंपरिक त्योहर सरहुल बिना जश्न और जुलूस के मनाने का निर्णय लिया गया है. केंद्रीय सरना समीति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बने सरकारी गाइडलाइन के अनुरूप सरहुल का त्योहार मनाया जाएगा. इसकी जानकारी एक लिखित ज्ञापन स्थानीय जिला प्रशासन को दी गई है.

सरहुल आदिवासियों का प्रकृति पर्व होता है. इस दौरान झारखंड के आदिवासी पारंपरिक तरीके पूजा-पाठ करते हैं और शहर में जुलूस और शोभा यात्रा निकालते हैं. आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक वस्त्र और आभूषण धारण किए हुए ढोल, नगाड़े और मांदर के थाप पर थिरकते और नाचते गाते हैं. लेकिन इस बार सरहुल में ऐसा कुछ नहीं दिखेगा. सरना पूजा स्थलों में सिर्फ औपचारिक पूजा होगी. शहरों में कोई शोभा यात्रा या जुलूस नहीं निकलेगी.