व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर देश में पिछले कुछ वर्षों से कड़ा कानून बनाने की मांगकी जा रही थी. इसके लिए केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश किया था. यह बिल सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया. इसमें विपक्षी दलों के सदस्यों की ओर से लाए गए कुछ संशोधनों को ध्वनि मत से खारिज कर दिया गया.
इस बिल में देश के नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा पर जोर दिया गया है. इसमें लोगों के डिजिटल डेटा के गलत इस्तेमाल या उसकी सुरक्षा में नाकामी होने एंटिटीज पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट ने छह वर्ष पहले ‘प्राइवेसी के अधिकार’ को एक मूलभूत अधिकार घोषित किया था. इस बिल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लोगों के डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से जुड़े प्रावधान हैं.
लोकसभा में मणिपुर में हिंसा के मुद्दे पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को पारित कराया गया.
केंद्रीय IT मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने बिल को विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा, “अगर विपक्ष इस बिल पर चर्चा करता तो अच्छा होता लेकिन कोई विपक्षी नेता या सदस्य नागरिकों के अधिकार को लेकर चिंतित नहीं है.”
उन्होंने बताया कि यह बिल विस्तृत सार्वजनिक विचार विमर्श के बाद लाया गया है. उनका कहना था कि इसकी भाषा बहुत आसान है और इसे एक सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है.
उन्होंने उन सिद्धांतों की जानकारी दी जिन पर यह बिल आधारित है. Ashwini ने कहा कि वैधता के सिद्धांत के अनुसार, किसी व्यक्ति के डेटा को मौजूदा कानूनों के आधार पर लेना चाहिए. उनका कहना था कि सीमित उद्देश्य के सिद्धांत के अनुसार, डेटा का इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए होना चाहिए जिसके लिए इसे लिया गया है.