News Highlights
Dhanbad: दिव्यांग ऋषि जब छह माह का था, तब उसकी मां उसे छोड़ गई. पेशे से कंप्यूटर शिक्षक पिता राजू सेन गुप्ता मुश्किल में पड़ गए. बेटे की परवरिश करें या नौकरी करें. आखिरकार उन्होंने नौकरी छोड़कर बेटे का पालन-पोषण शुरू कर दिया. गुजारे के लिए मैकेनिक का काम करने लग गए. आज ऋषि 10 साल का है. उसके लिए पिता राजू मां भी है. अपनी काबिलियत के बल पर राजू ने दिव्यांग बेटे को स्कूल पहुंचाने लाने के लिए जीप बनाई है. अब इसे ड्राइवरलेस बनाने पर काम कर रहे हैं. गूगल से मदद नहीं मिली तो खुद ड्राइवरलेस कार बनाने में जुटे हैं. यह कहानी धनबाद के मनईटांड़ निवासी राजू और उनके बेटे की है.
जीप में लगा कंप्यूटर खुद बैटरी चार्ज कर देता है
राजू ने पुरानी गाड़ियों के पार्ट पुर्जे जमा कर छोटी जीप असेंबल की है. इसमें कंप्यूटर लगा है. जिसकी प्रोग्रामिंग से बैटरी खत्म होने पर उसमें लगा जनरेटर खुद चालू हो जाता है और बैटरी को फिर से चार्ज कर देता है. एक बार चार्ज होने पर 500 किलोमीटर चल सकती है. इसमें जीपीएस भी है. बिना ड्राइवर के चल सकती है, पर 10 मीटर के बाद लोकेशन डिस्कनेक्ट हो जाता है.
10 मीटर के बाद कार जीपीएस से जुड़ नहीं पाती
राजू ने बताया कि हाइब्रिड कार में उन्होंने जीपीएस भी लगाया है, ताकि उसे ड्राइवरलेस बनाया जा सके. 10 मीटर के बाद लोकेशन नहीं पता चलने पर उन्होंने गूगल इंडिया के एक अधिकारी से संपर्क किया था. अधिकारी ने बताया कि इस मामले में वे कुछ नहीं कर सकते. अमेरिका स्थित गूगल के मुख्यालय से मदद मिल सकती है. यह सुनने के बाद भी अब खुद ड्राइवरलेस कार बनाने और उसे जीपीएस कनेक्टिविटी ठीक करने में जुट गए हैं.