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किसी भी बच्चे के जीवन में साहस खुशियां प्यार दुलार और सहारा का एक ही मतलब होता है. पापा कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई घरों में खूब तबाही मचाई. इस स्थिति से निकलने में पापा ने अहम भूमिका निभाई. खुद कोविड-19 रहते हुए भी घर के हर सदस्य के देखभाल की. जिम्मेदारियों के साथ प्यार और सकारात्मक सोच की प्रकाश पुंज बने.
मुझे सांस लेने में परेशानी हुई तो पापा रात भर दरवाजे पर खड़े रहे
बहू बाजार में रहने वाली इवेंजलिन एंथोनी के घर पर अप्रैल में कोरोना ने दस्तक दी. उनकी मां की मृत्यु पहले ही हो चुकी है. और दो छोटे भाई बहन भी हैं. कहती हैं मम्मी के जाने के बाद पापा एमएन एंथोनी ने ही हमें संभाला. पापा खुद बीमार थे. लेकिन, मेरी स्थिति एक रात काफी बिगड़ गई. मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. पापा मेरे दरवाजे पर ही खड़े रहे और मुझे हौसला देते रहे. पेट के बल सोने को कहा और रात में ठीक महसूस की, तभी सुबह सोने गए.
दादी की मृत्यु से हम घबरा गए लेकिन पापा ने हमें हारने नहीं दिया
हिंदपीढ़ी की वंशिता ने बताया कि पापा विवेक सिन्हा मां हर्षिता सिन्हा और दादी तीनों कोविड पॉजिटिव हो गए थे. दादी नहीं रही. हम सभी घबराए हुए थे. कोविड पॉजिटिव रहते हुए भी पापा ने मम्मी को संभालने के साथ हम दोनों बहनों को भी संभाला. हमेशा पॉजिटिव रहने को कहा. डिस्टेंस मेंटेन करते हुए हमें एंटरटेन करते रहे. समझाते रहे.
वीडियो कॉल करके पापा हमें हंसाते और मोटिवेट करते रहे
रातू रोड की सानवी श्रीवास्तव के पापा पुरुषोत्तम कुमार को कोविड था. कहती हैं- हमें बहुत डर लग रहा था. पापा हर दिन 4 बार हमारे साथ वीडियो कॉल पर बातें करते थे. हमें हंसाते हंसाते मोटिवेट करते थे. पापा का ऑक्सीजन लेवल 1 दिन 86 आ गया था. हम सब घबरा गए. लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपने से ज्यादा चिंता उन्हें हमारी थी. हमें कोविड बचने के टिप्स देते रहे. 20 दिनों बाद जब हम उनसे मिले तो, एक पल में ही पिघल कर हमें गले लगा.