छठ माई—-
राजधानी में बहती
जमुना के विषाक्त फेनिल जल में
कमर तक डूबी खड़ी निर्भीक निश्चिंत
सूर्यसाधिका छठ माई है
उगते सूरज ढलते सूरज
कदम- कदम संग चलते सूरज
भीतर बाहर जहां देखिए
दिव्य चेतना छठ माई है
सूर्य ज्योति से जग प्रकाशित
अंतःकिरण से मनुष्य
ले प्रकाश भीतर बाहर
स्फटिक उद्दीपन छठ माई है
अग्नि जल पृथ्वी पवन आकाश
पंचतत्व पर पावन विश्वास
भर कर स्पंदन कन कन में
सुखदीप लिए खड़ी छठ माई है