Uma Bharti on Nari Shakti Vandan Adhiniyam: लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में नारि शक्ति वंदन विधेयक भले ही पारित हो गया है, लेकिन बीजेपी के अंदर अब बिल को लेकर विरोध के आवाज गूंजने लगे हैं. मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम और बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती ने ओबीसी आरक्षण को लकर महिला आरक्षण बिल का खुलकर विरोध जताया है. उमा भारती ने भोपाल में 23 सितंबर को ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई है.
अपने इस इरादे को लेकर एमपी की पूर्व सीएम ने अपने सोशल मीडिया खाते में लिखा है कि “आज राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पूर्ण बहुमत से पारित हो गया. अब यदि पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना है, इसलिए भोपाल शहर के एवं उसके आसपास के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेताओं के साथ विचार विमर्श हुआ. 23 सितंबर को एक और बड़ी बैठक बुलाने का फैसला हुआ.”
इसके पहले बुधवार को लोकसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल पारित होने के बाद उमा भारती ने निराशा जाहिर करते हुए लिखा था कि, “कल लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया. 27 साल पहले यह विधेयक सर्वानुमति से पारित होने के लिए प्रस्तुत हुआ था तब हमारी पार्टी बीजेपी, काग्रेस एवं वामपंथी एकमत थे. देवेगौड़ा जी द्वारा सदन में पेश करते समय ही यह विधेयक ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण की दलील पर स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया. कल तक यह लंबित रहा. जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गया.”
उन्होंने आगे लिखा कि, “हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है किंतु पार्टी की मर्यादा में रह कर लोकतांत्रिक तरीके से जब तक यह विधेयक लागू नहीं होता तब तक ओबीसी आरक्षण के संशोधन के लिए दृढ़निश्चयी बने रहेंगे.यह आरक्षण संविधान में विशेष संशोधन हैं तो देश की 60% आबादी ओबीसी के लिए एक संशोधन और किया जा सकता है.हम सभी अपनी तपस्या एवं मोदी जी पर अपना विश्वास बनाये रखे.”
माना जा रहा है कि बीजेपी कि फायर ब्रांड नेता उमा भारती इस मसले पर पार्टी के लिए आगे मुश्किलें खड़ी कर सकती है. पार्टी ने जैसे ही महिलाओं को 33% आरक्षण का बिल लोकसभा में रखा था,वैसे ही उमा भारती ने इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग शुरू कर दी थी. इसके लिए वे मीडिया में लगातार मुखर होकर बयान भी दे रही थी. हालांकि,अभी पार्टी ने उमा भारती के बयानों पर कान नहीं दिया है लेकिन चुनावी राजनीति के केनवास पर उनकी लंबे समय तक अनदेखी करने पार्टी के लिए आसान नहीं होगा.