New Delhi: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर में राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान एवं दिल्ली सरना समाज के तत्वावधान में शनिवार को देश के सैकड़ों सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने महाधरना दिया. धरना की अध्यक्षता धर्मगुरु बंधन तिग्गा और सह अध्यक्षता दिल्ली सरना समाज के अध्यक्ष अनिल कुमार भगत ने संयुक्त रूप से की.
महाधरना में झारखंड, मध्यप्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार से हजार से अधिक सरना धर्मावलंबी शामिल हुए। महाधरना के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (जनगणना) को स्मार पत्र समर्पित किया है.
महाधरना में किसने क्या कहा
मध्यप्रदेश के विधायक हीरालाल अलवा ने कहा कि अब वक्त है कि अपने अस्तित्व, अस्मिता एवं धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए देश के आदिवासियों को एकजुट होना होगा.
खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि सरना धर्म कोड के विषय में राजनीतिक पार्टी के नेता असमंजस की स्थिति में हैं, यह अच्छी बात नहीं है. उन्हें जनप्रतिनिधि होने के नाते सरना धर्म कोड जैसी मांग का समर्थन करना चाहिए;
शिक्षाविद डॉ करमा उरांव ने सरना धर्म कोड आंदोलन की रूपरेखा और भावी राजनीति पर रणनीति का खुलासा किया कि आजाद भारत में सबसे ज्यादा उनके अधिकारों और उनके जीवन संस्कृति पर कुठाराघात हुआ है. उसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार जिम्मेदार है.
महाधरना के सह अध्यक्ष अनिल कुमार भगत ने कहा कि दिल्ली से अपना समाज सरना धर्म कोड की मांग के साथ सक्रिय रूप से खड़ा है और जब कभी भी कार्यक्रम दिल्ली में होगा, हम सहयोग देने से पीछे नहीं हटेंगे.
महाधरना के अध्यक्ष धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना धर्म के अस्तित्व का साक्षी सूरज-चांद का जितना सत्य है. भारत के आदिवासी के लिए सरना धर्म सच्चाई का प्रतीक है. भारत के आदिवासियों का जीना-मरना, धार्मिक एवं अलौकिक दुनिया और संस्कृति का अनुभव सरना धर्म की प्रकृति है, जिसको भारत के आदिवासियों ने स्वीकार कर लिया है.
शिवा कच्छप, निर्मला भगत, रवि तिग्गा, मथुरा कंडीर, मणिलाल केरकेट्टा, नारायण उरांव, बिरसा कंडीर, संगम उरांव, सुभाष मुंडा, विद्यासागर केरकेट्टा, डॉ गोमती बोदरा, डॉ आयशा उरांव, दुर्गावती ओड़ेया, अनूप टोप्पो, प्रदीप भगत, राम किशोर केरकेट्टा, भगवान दास मुंडा, अजीत टेटे ने भी महाधरना को संबोधित किया.

मांगों से संबंधित मुख्य बातें
1. जितना जल्दी हो सके जनगणना परिपत्र में पृथक सरना धर्म कोड अधिसूचित किया जाए.
2. आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक कोड नहीं रहने के कारण भारत के आदिवासियों में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक भटकाव और धर्मांतरण अनवरत जारी है.
3. अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में देश की राजधानी दिल्ली में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों से आम सहमति की दिशा में बातचीत की जाएगी.
4. यह भी निर्णय लिया गया कि रांची के मोरहाबादी मैदान में 26 फरवरी को सरना महारैली आयोजित की जाएगी, जिसमें भारत के सभी राज्यों से और नेपाल, बांग्लादेश एवं भूटान से लाखों की संख्या में धर्मावलंबियों का महाजुटान होगा.
5. प्रमुख वक्ताओं में सेंगेल अभियान के अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मूर्मू ने कहा कि यदि पृथक सरना धर्म कोड आवंटित नहीं हुआ तो आदिवासी बहुल राज्यों में चक्का जाम होगा और देश की आर्थिक संरचना को बाधित किया जाएगा.
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