चंपाई सोरेन की प्रारंभिक जीवनी
Champai Soren News: चंपई सोरेन, जो कि झारखंड टाइगर के रूप में मशहूर हैं, अब झारखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे. वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं और झामूमो के उपाध्यक्ष भी हैं. चंपई सोरेन सरायकेला से विधायक हैं और उनके पिता सेमल सोरेन एक किसान हैं.
कौन हैं चंपई सोरेन?
चंपई सोरेन का जन्म 15 सितंबर 1978 को झारखंड के दुमका में हुआ था. उन्होंने दुमका के एक सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा पूरी की और फिर सिद्धू कानू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका से कला में स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की.
चंपई सोरेन झारखंड विधानसभा के सदस्य हैं. वर्तमान में वह झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी से सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक हैं. कैबिनेट मंत्री के रूप वह हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
चंपई सोरेन को ‘झारखंड टाइगर’ क्यों कहा जाता है?
जब बिहार से अलग झारखंड राज्य की मांग उठ रही थी उस दौरान चंपई का नाम खूब चर्चा में रहा. शिबू सोरेन के साथ ही चंपई ने भी झारखंड के आंदोलन में भाग लिया. इसके बाद ही लोग उन्हें ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से बुलाने लगे.
राजनीतिक यात्रा
झारखंड के आंदोलन में शिबू सोरेन के साथ रहते हुए, चंपाई ने भी राजनीतिक सफर की शुरुआत की. उन्होंने अपनी सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक बनकर अपना राजनीतिक करियर आरंभ किया.
मंत्री के रूप में
चंपाई सोरेन ने बीजेपी नेता अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री के रूप में सेवा की. उन्होंने अहम मंत्रालयों का दायित्व संभाला और 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 तक मंत्री के रूप में कार्य किया.
वापसी और मुख्यमंत्री बनाना
हेमंत सोरेन की अगुवाई में बनी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में, चंपाई सोरेन को पुनः मंत्री बनाया गया. और 2019 में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर, उन्हें परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री का पद सौंपा गया.
चंपाई सोरेन की यात्रा राजनीतिक क्षेत्र में उनकी मेहनत, साहस और नेतृत्व का प्रतीक है. वे अपने राज्य झारखंड के विकास और कल्याण के लिए समर्पित हैं.