Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल रमेश बैस महीनों बाद एक मंच पर दिखे. सीएम सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर पिछले 25 अगस्त को चुनाव आयोग के मंतव्य के बाद राज्य में सत्ता की दो अहम धुरी के बीच खींचतान चल रही है. झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस के मौके पर को यह संवादहीनता टूटती नजर आई.
झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस समारोह के दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उदघाटन समारोह में हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों के बीच मंच पर बातचीत नहीं हुई, लेकिन इशारों में ही औपचारिक अभिवादन का आदान-प्रदान हुआ.
राज्यपाल ने स्थापना दिवस समारोह में उत्कृष्ट विधायक सम्मान से सम्मानित बगोदर के भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह की प्रशंसा के पुल बांधे और उन्हें आदर्श जनप्रतिनिधि बताया. राज्यपाल ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों से आम जनता की आकांक्षा जुड़ी रहती है. इसपर उन्हें खरा उतरना चाहिए.
राज्यपाल ने अपने संबोधन में जनप्रतिनिधि के उत्तरदायित्व से जुड़ी बातों की तरफ फोकस किया, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इसी विषय पर अपना भाषण केंद्रित किया.
वाजपेयी की देन झारखंड: रमेश बैस
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि बिहार राज्य के पुनर्गठन से झारखंड देश का 28वां राज्य बना. झारखंड अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति कृतज्ञ है. उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने का निर्णय किया. यह आत्म-अवलोकन का विषय है कि हमने कहां तक जन-आकांक्षाओं को पूरा किया. किन क्षेत्रों में ध्यान देने की आवश्यकता है, इसे देखा जाए. लोकतांत्रिक संस्थाओं को मर्यादा अक्षुण्ण रखना चाहिए.
झारखंड मिला शिबू सोरेन के संघर्ष से: हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अगल झारखंड प्रांत शिबू सोरेन के संघर्ष का परिणाम है. अविभाजित बिहार में ऐसी समस्याएं पैदा हुई कि झारखंड अलग राज्य बना. यहां के आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक लंबे समय तक शोषण का शिकार हुए. झारखंड में शोषण के विरुद्ध अंग्रेजों से वीरों ने लोहा लिया. आजादी के बाद भी लडाईयां लड़ी. विधानसभा में सभी सदस्यों की बराबर भूमिका है. पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका राज्य के विकास के लिए जरूरी है. 20 साल में क्या हुआ, यह चर्चा नहीं करेंगे लेकिन और भी काम करने की आवश्यकता है.
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