Ranchi: आपको याद होगा, इस साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के मोरहाबादी मैदान में झंडोतोलन किया था. तक मुख्यमंत्री ने झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों की सेवा को लेकर बडा ऐलान किया था.
झारखंड सरकार के जन सूचना विभाग की टीम ने भी प्रमुखता से बताया कि मुख्यमंत्री ने झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों के दो साल के सेवा विस्तार का ऐलान किया है. इसके बाद अब अगस्त महीने के आखिर में ही पुलिस विभाग ने मुख्यमंत्री के ऐलान को पलट दिया है. गढवा पुलिस की ओर से एक आदेश जारी किया गया है. उसके मुताबिक गढवा जिले में झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है.
15 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झंडोतोलन के बाद कहा था कि सहायक पुलिस कर्मियों के भविष्य को लेकर सरकार चिंतित है और इस दिशा में जल्द ठोस निर्णय लिए जाएंगे. हेमंत सोरेन के इस ऐलान के बाद सहायक पुलिस कर्मियों को उम्मीद थी कि 2 साल के सेवा विस्तार के साथ उनके मानदेय में भी सरकार बढोतरी करेगी. बहाली से लेकर अब तक उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये मानदेय (Jharkhand sahayak Police salary) मिलती है. जिस तरह से हेमंत सोरेन महंगाई के खिलाफ बोलते हैं, सरकार भी इनके मानदेय को लेकर कुछ सकारात्मक उपाय करेगी. लेकिन ऐसा कुछ होने से पहले गढवा पुलिस का फरमान सबके सामने है.
गढवा पुलिस द्वारा जारी आदेश के बाद झारखंड पुलिस कर्मियों ने रक्षा बंधन के दिन एक वीडियो संदेश जारी किया है. इसमें सहायक पुलिसकर्मी सरकार से गुहार लगा रहे हैं. उन्होंने वीडियो में कहा है कि रक्षा बंधन के दिन हमारे हाथ में रक्षा सूत्र होना चाहिए, लेकिन सरकार ने हमारे हाथों में विमुक्ति का पत्र थमा दिया है.
सहायक पुलिस कर्मियों ने कहा कि झारखंड सरकार के मंत्री और अधिकारी कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं. उन्होंने सरकार और प्रशासन ने विमुक्ति के पत्र को तत्काल वापस लेने का आग्रह भी किया है. साथ ही सहायक पुलिस कर्मियों की मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की है.
सहायक पुलिस कर्मियों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि एक तरफ मुख्यमंत्री झारखंड सहायक पुलिस कर्मियों के सेवा विस्तार का ऐलान करते हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस के द्वारा विमुक्ति का पत्र जारी किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस घटना से सहायक पुलिस कर्मी मानसिक तौर पर प्रताडित और शोषित महसूस कर रहे हैं.
सहायक पुलिसकर्मियों ने अपने वीडियो संदेश में आग्रह कहा है कि सरकार उनकी पीडा को समझे और निदान करे.
आपको बता दें कि 2017 में नक्सली इलाकों के तैनात युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सहायक पुलिसकर्मियों को अनुबंधन पर भर्ती किया गया था. जिसमें उनका मानदेय प्रति महीने 10 हजार रूपए (Sahayak Police salary) तय किया गया था.
2022 में आंदोलन के बाद इनका अनुबंधन एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया था. यहां तैनात अधिकतर सहायक पुलिसकर्मी रंका भंडारिया, बूढ़ा पहाड़ समेत अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों के हैं. अब एक साल का अनुबंधान समाप्त होने के बाद एसपी की तरफ से कार्य को रोक देने को कहा गया है.