Ranchi: आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो और सहायक बिशप थियोडोर मास्करेहंस ने क्रिसमस के मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से क्रिसमस गिफ्ट के तौर पर ईसाई समुदाय के लिए एक मंत्री पद की मांग की है. दोनों बिशप हाउस में मीडिया को संबोधित कर रहे थे.
मीडिया से बात करते हुए दोनों ने कहा कि झारखंड सरकार में एक ईसाई मंत्री भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो हमारी समस्याओं और भावनाओं को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकता है. आर्चबिशप मंगलवार को पुरूलिया रोड स्थित आर्चबिशप हाउस में मीडिया से बात कर रहे थे.
उन्होंने इस दौरान अल्पसंख्यक स्कूलों की समस्याओं को भी सामने रखा. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय में अल्पसंख्यक स्कूलों में कोई भी नियुक्ति नहीं हो पाई. स्कूलों में शिक्षकों के नहीं होने से उसके संचालन में मुश्किल हो रही है और इसका सीधा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.
बता दें कि पिछले साल विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन आशीर्वाद लेने के लिए बिशप हाउस पहुंचे थे. तब हेमंत ने आर्च बिशप फेलिक्स टोप्पो से आशीर्वाद लिया था. यहां बिशप फादर मास्करेन्हांस कहा था कि इस दिन का पांच साल से इंतजार था. नई सरकार को उन्होंने क्रिसमस गिफ्ट बताया था.
कांग्रेस ने किया समर्थन
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो और सहायक बिशप थियोडोर मास्करेहंस के झारखंड मंत्रिमंडल में क्रिश्चियन मंत्री के मांग का समर्थन किया है. उन्होंने इस को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इनकी मांगों से अवगत कराने की बात भी कही है.
भाजपा ने कहा- छिपा एजेंडा एक्सपोज हुआ
इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि क्रिसमस के पूर्व आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो की हेमन्त सरकार से एक ईसाई समुदाय से विधायक को मंत्री बनाने की मांग पूरे तरीके से चर्च के छिपे एजेंडे को एक्सपोज़ करता है.
प्रतुल ने कहा कि भाजपा यह शुरू से कहती आई है कि झारखंड में चर्च के कुछ पदाधिकारी राजनीतिक हस्तक्षेप करते हैं, जबकि उनके जिम्मेवारी सिर्फ संविधान के दायरे के भीतर अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करना और सामाजिक कार्य करना है. लेकिन, हेमन्त सरकार के गठन को आर्चबिशप कभी क्रिसमस गिफ्ट बताते हैं, तो 1 वर्ष के बाद अब ईसाई समुदाय से एक मंत्री को शामिल करने की मांग करते हैं.
प्रतुल ने कहा कि भाजपा यह शुरू से कहती है कि चुनाव के समय भी कुछ धर्मगुरुओं के द्वारा खूंटी, सिमडेगा, रांची ,गुमला, लातेहार और संथाल परगना के क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के लिए फतवा जारी किया जाता रहा है. समाज सेवा की आड़ में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का कार्य होता है. अब तो आर्चबिशप ने खुलकर अपने धार्मिक कार्यक्षेत्र से आगे बढ़कर राजनीतिक मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया जो कि निंदनीय है.