Cyber Ravan: दुर्गा पूजा और नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में बहुत ही भव्य तरीके से सेलिब्रेट किया जा रहा है. इसके बाद विजयादशमी को रावण दहन की तैयारी की जा रही है. विजयादशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर बनाया जाता है. ऐसे में साइबर रावण की चर्चा पूरे देश में हो रही है, जो कह रहा है- ‘तुम्हारी अज्ञानता, मेरी ताकत’.
विजयदशमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत मानी जाती है. लेकिन हमारे समाज में कई ऐसी बुराईयां हैं, जिससे लोगों के दैनिक जीवन में काफी परेशानी होती है. जैसे साइबर ठगी के मामले हैं, जिसमें लोग किसी दूसरे के झांसे में आकर इसके शिकार हो जाते हैं. इस लिए समाज से साइबर जैसे अपराध या बुराई को दूर करना बहुत जरूरी होता है.
बुराई पर अच्छाई की जीत के संदेश को ध्यान रखते हुए छत्तीसगढ के रायपुर में एक अनोखे रावण का पुतला तैयार किया गया है, जिसका नाम है ‘साइबर रावण’. इस रावण के पुतले को बढते साइबर क्राइम को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से तैयार किया गया है.
साइबर रावण का मकसद
साइबर रावण का पुतला बनाकर छत्तीसगढ़ पुलिस ने यह अनूठी पहल की है. विजयदशमी के मौके पर साइबर अपराध से बचाने के लिए साइबर रूपी रावण का पुतला तैयार किया गया है. रायपुर के मरीन ड्राइव, जय स्तंभ चौक जैसे कई स्थानों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. इसको लेकर पुलिस ने साइबर रूपी रावण का पुतला रखकर जागरूक करने का प्रयास किया है.
साइबर अपराध को रोकेगा साइबर रावण
इसका मुख्य उद्देश्य है कि साइबर अपराध के बढ़ते मामले को रोकना और इसके खिलाफ लोगों को जागरूक करना है. आपको बता दें कि इस पुतले का नाम साइबर रावण रखा गया है. इस रावण के पुतले पर एक संदेश भी लिखा है तुम्हारी अज्ञानता मेरी ताकत है. इस संदेश के माध्यम से छत्तीसगढ़ पुलिस की तरफ से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
दशहरा के दिन बुराई के प्रतीक रावण का दहन किया जाता है. इस दिन आम लोगों से भी नैतिक रूप में मन के भीतर की बुराई को खत्म करने की अपील की जाती है. वर्तमान में साइबर ठगी भी रावण का रूप ले चुका है. यह साइबर रावण तभी खत्म होगा, जब लोग साइबर क्राइम-ठगी को लेकर अपनी अज्ञानता दूर करेंगे. रायपुर पुलिस साइबर रावण के जरिए यही संदेश दे रही है कि जागरूक बनकर अज्ञानता को दूर करें.
साइबर ठगी के बढते मामले
रायपुर जिले में ही हर साल सैकड़ों ऑनलाइन ठगी की घटनाएं हो रही हैं. इसके आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं. साइबर ठगी करने वाले हर बार अपना पैटर्न बदलकर घटना को अंजाम देते हैं. पिछले साल 4 हजार से ज्यादा ऑनलाइन ठगी हुई थी. इनमें ग्रामीण से लेकर उच्चशिक्षित लोग भी साइबर ठगों के झांसे में आए थे.