Ambedkar Nagar: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के चार दिन बाद ही राम मंदिर के पक्षकार रहे रमेश चंद्र त्रिपाठी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया. बुधवार को अयोध्या में सरयू नदी के तट पर गणमान्य लोगों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया. बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी.
भीटी तहसील क्षेत्र के भगवान पट्टी गांव निवासी रमेश चंद्र त्रिपाठी का नाम राम मंदिर के पक्षकारों में 17वें नंबर पर दर्ज था. 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जमीन रामलला विराजमान को मिलने से वे काफी खुश थे.रमेश चंद्र त्रिपाठी भारत के रक्षा मंत्रालय में ऑडीटर पद पर रह चुके हैं. 1997 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने समाज सेवा को अपना मुख्य ध्येय बनाया. वैसे वह 1965 में पहली बार मंदिर आंदोलन से जुड़े थे.न
िर्मोही अखाड़े से संबंध होने के कारण वह सेवानिवृत्त होने के बाद सक्रिय रूप से राम मंदिर आंदोलन से जुड़कर पक्षकारों में शामिल हो गए. वे पहले हाई कोर्ट में फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी पक्षकार रहे. इस कारण उन्हें प्रदेश सरकार ने एक सरकारी अंगरक्षक दे रखा था.
मंगलवार को उनके निधन के बाद भीटी थाने के निरीक्षक मनीष कुमार सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें राजकीय सम्मान से श्रद्धांजली दी. उनके निधन का समाचार मिलते ही अपर जिलाधिकारी अमरनाथ राय, उपजिलाधिकारी (भीटी) देवी दयाल शर्मा पुलिस बल के साथ उनके घर पहुंचे तथा श्रद्धांजलि अर्पित की.
उनकी कई धार्मिक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है जिसमें हनुमान नाट्यक्रम, आस्था केंद्र वैष्णो देवी, विंध्याचलधाम, अष्टावक मारवाह प्रमुख रचनाएं हैं. इसके साथ ही हिंदी संस्थान द्वारा उन्हें कबीर सम्मान, अवध भूषण सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था. उन्होंने ‘वह पहले एक सपना था’ नाम का छंद काव्य भी लिखा जो काफी चर्चित हुआ. बुधवार को अयोध्या में सरयू नदी के तट पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.