Pune: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को भेजे एक पत्र में ‘अनशन’ शुरू करने की चेतावनी दी है. हजारे ने यह चेतावनी किसान आंदोलन के मद्देनजर दी है. गांधीवादी नेता हजारे की चेतावनी पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा ‘उन्हें नहीं लगता है कि वह (अन्ना) ऐसा करेंगे.’ केंद्रीय मंत्री ने कहा- ‘मुझे लगता है कि अन्ना हजारे जी इसमें शामिल नहीं होंगे. हमने किसानों के खिलाफ कुछ नहीं किया है. किसानों को मंडी में, व्यापारियों को या कहीं भी उत्पाद बेचने का अधिकार है.’
उन्होंने कहा कि मैं विदर्भ से आता हूं. 10,000 से अधिक गरीब किसानों ने आत्महत्या की. इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. किसानों, किसान संगठनों द्वारा जो सुझाव सही हैं, हम उन बदलावों के लिए तैयार हैं.
हजारे ने कृषि मंत्री को क्या लिखा?
हजारे ने कृषि मंत्री को लिखे पत्र में एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने समेत विभिन्न मांगों को पूरा करने में ‘नाकाम’ रही केन्द्र सरकार के खिलाफ ‘अनशन’ करने की चेतावनी दी है.साथ ही हजारे ने केंद्रीय मंत्री तोमर को भेजे पत्र में अन्य मांगों में कृषि लागत एवं दाम आयोग (सीएसीपी) को स्वायत्तता प्रदान करने की मांग की है.भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले हजारे फरवरी 2019 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में अपने गांव रालेगण सिद्धि में उपवास पर बैठ गए थे. तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हजारे को लिखित आश्वासन दिया था कि केन्द्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों तथा अन्य कृषि संबंधी मांगों पर चर्चा के लिये उच्चस्तरीय समिति का गठन करेगी, जिसके बाद उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया था.
तोमर को लिखे गए हजारे के पत्र को पत्रकारों से साथ साझा किया गया है. इसमें राधामोहन सिंह के उस पत्र को भी संलग्न किया गया है, जिसमें आश्वासन दिया गया था उच्च स्तरीय समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर 30 दिसंबर 2019 तक सौंप देगी. हजारे ने तोमर को लिखे पत्र में कहा, ‘केन्द्र ने आश्वासन दिया था कि मांगों को लेकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे. क्योंकि तय तिथि तक कुछ नहीं हुआ है, इसलिये मैं पांच फरवरी 2019 को खत्म किया गया अनशन फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा हूं.’
80 वर्षीय हजारे ने कहा कि जल्द ही केन्द्र सरकार को अनशन की तिथि और स्थान के बारे में बता दिया जाएगा. हजारे ने केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आठ दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद के दौरान उपवास रखा था. उन्होंने सरकार को सीएसीपी को स्वायत्तता प्रदान करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में नाकाम रहने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी.