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New Delhi: कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर सभी चिंतित हैं. यह कितना खतरनाक होगा. साथ कि इससे कौन सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, इसकी चिंता सभी कर रहे हैं. क्या वैक्सीन लगवाने वाले भी इसकी चपेट में आयेंगे? इस तरह के कई सवाल लोगों के जेहन में हैं. फिलहाल कोराना के थर्ड वेव के संक्रमण को लेकर सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा रहा है. खासकर बच्चों में कोरोना के तीसरी लहर का असर क्या होगा. यह सबसे बड़ा सवाल है.
आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ समीरन पांडा ने आज कहा है कि देश में जो चौथा सीरो सर्वे हुआ उसके अनुसार देश के 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चों में संक्रमण का स्तर बड़ों से कुछ ही कम है, ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर हमें अनावश्यक चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिन राज्यों में अपने यहां वयस्कों को वैक्सीन बड़े पैमाने पर लगा दिया है और महामारी की जांच की है वे अपने यहां स्कूलों को धीरे-धीरे खोल सकते हैं.
जहां दूसरी लहर का असर कम था, वहां थर्ड वेव के मामले
डॉ समीरन पांडा ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के शुरुआती संकेत उन राज्यों में दिख रहे हैं जहां दूसरी लहर बहुत तीव्र नहीं थी. कुछ राज्यों ने दिल्ली और महाराष्ट्र से सीख ली है और प्रतिबंधों को पहले से ही लागू कर दिया है, ऐसे में उनके यहां संक्रमण का स्तर बहुत खतरनाक नहीं है.
डॉ त्रेहन ने स्कूल खोलने पर जतायी चिंता
वहीं मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ त्रेहन ने स्कूलों को अभी खोलने पर चिंता जतायी है. उनका कहना था कि हम एक ऐसे देश में हैं जहां कि आबादी बहुत ज्यादा है, अगर बच्चे बड़ी संख्या में बीमार होने लगे तो उनका इलाज करना मुश्किल होगा, इसलिए अभी हड़बड़ी में स्कूलों को नहीं खोला जाना चाहिए.
सीनियर क्लास के बजाय पहले प्राइमरी स्कूल खोलने की नसीहत
आईसीएमआर ने कोरोना की दूसरी लहर के कमजोर होते ही यह कहा था कि स्कूलों को खोला जा सकता है. इनका तो तर्क यह था कि सीनियर क्लास की बजाय पहले प्राइमरी स्कूल खोला जाना चाहिए, क्योंकि उनपर वायरस का प्रभाव ज्यादा नहीं दिखता है.