Ranchi: देश में पहली बार एक साथ 15 माउंट एवरेस्ट विजेताओं का जुटान रांची में 20 अगस्त को होगा. सभी पर्वतारोही सीसीएल सभागार में सीसीएल और आइडियेट इंस्पायर इग्नाइज फाउंडेशन के साथ मॉडर्न Pythian Games द्वारा आयोजित एवरेस्ट समिट में अपने अनुभवों को साझा करेंगे.
समिट में दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर सबसे पहले चढ़ने वाले दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे के पुत्र व दो बार एवरेट फतह कर चुके जैमलिंग तेनजिंग नोर्गे मुख्य वक्ता होंगे, समिट में एवरेस्ट फतह करने वाले झारखंड के तीन पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल, विनीता सोरेन व हेमंत गुप्ता, पश्चिम बंगाल के सत्यरूप सिद्धांत, रुद्र प्रसाद हलदर, यूपी की अरुणिमा सिन्हा, जम्मु-कश्मीर से कर्नल रणवीर जमवाल, मध्य प्रदेश से मेघना परमार, कनार्टक से प्रियंका मोहिते, महाराष्ट्र से मनीषा बाघमरे, कुंतल जोइशर भगवान उवाले, गुजरात से अदिती वैद्य व अनुजा वैद्य शामिल होंगे. सीसीएल के सहयोग से आयोजित हो रहे इस समिट के आयोजक इग्नाइट फाउंडेशन के फाउंडर डायरेक्टर व टेडेक्स कांके के क्यूरेटर राजीव गुप्ता ने प्रेस काफेंस में बताया कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि पहली बार देश में एक साथ रांची में 15 पर्वतारोही जुट रहे हैं. यह आयोजन एवरेटस फतह के 70 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है. सभी पर्वतारोही अपनी चढ़ाई के दौरान साहस, अनुभव व विजय की कहानियां साझा करेंगे. समिट का मकसद युवा पीढ़ी को यह बताना है कि कैसे असंभव सी मानी जानेवाली चोटियों को भी साहस के दम पर जीता जा सकता है. श्री गुप्ता ने यह भी बताया कि दुनिया में पहली बार 1953 में दो लोगों न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी व दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे ने एवरेस्ट फतह किया था. एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर है. प्रेस कॉन्फ्रेंस मेराजीव गुप्ता, कनिष्क पोद्दार, प्रवीण राजगढ़िया, कणिका मल्होत्रा, आलोक कुमार, अमित मोदी, प्रीति गुप्ता, भरत अग्रवाल उपस्थित थे।
1. प्रियंका मोहिते महाराष्ट्र की प्रियंका मोहिते ने 21 साल की उम्र में एवरेट फतह किया, वह सबसे कम उम्र की तीसरी व पहली महराष्ट्रीयन बनी प्रियंका को 2020 में तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड मिला. 2021 में प्रियंका ने माउंड अन्नपूर्णा व 2022 में माउंट कंचनजंगा की चढ़ाई की.
2. कुंतल जोइशर मुंबई के कुंतल जोइशर ने 2016 में एवरेस्ट और 2018 में माउंट ल्होत्से की चढ़ाई पूरी की शाकाहारी जीवनशैली वाले कुंतल यूएससी विटर्बी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग कैलिफोर्निया के पूर्व छात्र हैं.
3. अनुजा आनंद वैद्य : अनुजा आनंद वैदय ने अपनी बहन अदिति वैद्य के साथ एवरेस्ट के अलावा 2019 में अर्जेंटीना के एकॉनकागुआ, हिमाचल प्रदेश की दुर्जेय मणिरंग, इंडोनेशिया की कास्टैस पीरामिड, 2020 में अंटार्कटिका के माउंट विंसन मासिफ को फतह कर चुकी हैं
4. अदिती वैद्यः अदिती वैद्य अपनी बहन अनुजा वैदय के साथ एवरेस्ट पर चढ़ चुकी हैं. इसके अलावा अर्जेंटीना के एकॉनकागुआ व कई अन्य पर्वत चोटियों को फतह कर चुकी हैं, अदिती ने लंदन के क्वीन
मैरी यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार की पढ़ाई की है.
5. रुद्र प्रसाद हलदर 39 की उम्र में पश्चिम बंगाल के रूद्र प्रसाद हलदर ने एवरेस्ट की चढ़ाई की. एवरेस्ट के लिए उन्हें करीब 45 दिनों का समय लगा. रुद्र पेश से एक मीडिया ऑपरेटर हैं. उन्होंने पर्वतारोहन की तैयारी उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से की.
6. मेघा परमार: एवरेस्ट विजेता मध्य प्रदेश की मेघा परमार 45 मीटर अंदर तक स्कूबा डाइव करने वाली पहली महिला हैं, 2019 में माउंट एल्बस की चढ़ाई पूरी की. मेघा मध्य प्रदेश में बेटी बचाओ बेटी (पढ़ाओ अभियान की ब्रांड आंबेसडर भी हैं.
7. मनीषा वाघमारे: मनीषा वाघमारे ने अपने छह सहयोगियों के साथ एवरेस्ट की चढाई पूरी की.
वॉलीबॉल की बेहतरीन खिलाड़ी मनीषा को खेल के क्षेत्र में छत्रपति पुरस्कार मिल चुका है. एवरेस्ट
चढ़ने के लिए मनीषा ने औरंगाबाद के भारतीय कैडेट फोर्स कैंप में प्रशिक्षण लिया था.
8. भगवान चावले: पेशे से एलआइसी में विकास अधिकारी भगवान चावले ने मई 2018 में एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की. इससे पूर्व वे हिमालय की अन्य चोटियों स्टोक कांगडी, घोलप कांगड़ी, भागीरथी, दवीप शिखर पर चढ़ चुके थे. इसके अलावा वानरलिंगी, वजीर, लिंगना व टेलबैला चोटी की भी चढ़ाई की है.
9. कर्नल रणवीर जामवाल भारतीय सेना के अधिकारी जम्मू-कश्मीर के कर्नल रणवीर जामवाल तीन बार एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. 2013 में उन्हें तेनजिंग नोर्गे अवार्ड मिला. वे दुनिया के सात प्रमुख चोटियों पर चढ़ाई कर चुके हैं उनकी इस असाधारण उपलब्धियों के लिए सेना का सेवा पदक भी मिला. वे देश के शीघ्र पर्वतारोही के रूप में नामित हैं.
10. जैमलिंग तेनजिंग नोर्गे : जैमलिंग दुनिया में पहली बार 1953 में एवरेस्ट फतह करने वाले दार्जिलिंग के तेनजिंग नोर्गे के पुत्र हैं, जैमलिंग 1996 और 2002 में दो बार एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. जैमलिंग ने एवरेस्ट फतह पर टचिंग माइ फादर्स सोल नामक किताब भी लिखी हैं.
11. अरुणिमा सिन्हा : उत्तर प्रदेश की अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सात सबसे बड़े शिखर पर विजय प्राप्त करने वाली दिव्यांग महिला हैं. उन्होंने एवरेस्ट के अलावा माउंट किलिमंजारो, माउंट एल्बस, माउंट कौसियुस्को, माउंट एकॉनकागुआ, माउंट डेनाली, माउंट विंसन की चढ़ाई की है. अरुणिमा को भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान दिया है.
12. सत्यरूप सिद्धांत : सत्यरूप सिद्धांत का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉइस में सबसे कम उम्र के पर्वतारोही के रूप में दर्ज है. सत्यरुप ने दुनिया की सभी सात चोटियों के अलावा ज्वालामुखी की सात चोटियों को भी जीत कर एक असाधारण उपलब्धि पायी है. ऐसा करने वाले वे भारत के प्रथम व्यक्ति हैं.
13. हेमंत गुप्ता मैन ऑफ स्टील के नाम से विख्याज हेमंत गुप्ता ने 2017 में एवरेस्ट की सफल चढ़ाई की. वे माउंट एकॉनकागुआ, माउंट भागीरथी, लोबुचे ईस्ट, आइलैंड पीक और माउंट कनामों पर भी चढ़ चुके हैं. आइआइटी बॉम्बे से पढ़े हेमंत ने टाटा स्टील से अपने करियर की शुरुआत की थी.
14. विनीता सोरेन झारखंड के सरायकेला की विनीत सोरेन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली आदिवासी महिला हैं. विनीता ने दो सहकर्मियों के साथ इको एवरेस्ट स्प्रिंग अभियान के तहत 2012 में एवरेस्ट की चढ़ाई की थी. थार रेगिस्तान अभियान के तहत विनीता ने गुजरात के भुज से पंजाब के वाघा बॉर्डर तक करीब दो हजार किलोमीटर की यात्रा भी पूरी की है.
15. प्रेमलता अग्रवाल : पश्चिम बंगाल की प्रेमलता अग्रवाल दुनिया की सभी सात चोटियों पर सफलता पूर्वक चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. उन्होंने एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल से चढ़ाई के लिए प्रशिक्षण लिया प्रेमलता को 2013 में पद्मश्री व 2017 में तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार मिल चुका है.